Lok Sabha Election 2019: लोकसभा में पांच साल खामोश रही पटना साहिब की आवाज
पटना साहिब लोकसभा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा ने 2014 से 2019 के कार्यकाल में न तो कोई सवाल पूछा और न ही किसी चर्चा में हिस्सा लिया। जानिए...
पटना/ नई दिल्ली। राजनीति हलकों और अन्य मोर्चों पर अब तक मुखर रहते आए बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के बीते पांच साल लोकसभा में बतौर सदस्य बेहद खामोशी में बीते। पटना साहिब लोकसभा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा ने 2014 से 2019 के कार्यकाल में न तो कोई सवाल पूछा और न ही किसी चर्चा में हिस्सा लिया। अलबत्ता इस दौरान अपने सांसद निधि फंड का उन्होंने अवश्य खुल कर इस्तेमाल किया।
शत्रुघ्न लोकसभा चुनावों में पटना साहिब सीट से ही फिर मैदान में हैं और इस बार वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैैं। उनका मुकाबला केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से है। संसद के पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि शत्रुघ्न के संसद के पिछले कार्यकाल मौजूदा के मुकाबले कुछ बेहतर रहे हैं।
साल 1996 से लेकर 2008 तक की अवधि में सांसद रहते हुए वे 92 सवाल पूछे। इसके मुकाबले 2009 से 2014 तक के कार्यकाल में उनकी तरफ से 67 सवाल ही पूछे गए, हालांकि मौजूदा कार्यकाल में पटना साहिब की आवाज सदन में एकदम खामोश हो गई। इस कार्यकाल में उन्होंने सदन में एक भी प्रश्न नहीं पूछा।
संसद में होने वाली एक भी चर्चा में नहीं लिया हिस्सा: लगभग इसी तरह का प्रदर्शन चर्चाओं में भाग लेने के संबंध में भी रहा। साल 1996 से 2008 तक शत्रुघ्न ने 142 बार सदन में विभिन्न विषयों पर हुई चर्चाओं में हिस्सा लिया। अपने अगले कार्यकाल 2009 से 2014 के दौरान यह संख्या एकदम नीचे चली गई।
इस अवधि में शत्रुघ्न सिन्हा ने केवल नौ चर्चाओं में भाग लिया, लेकिन 2014 से 2019 के कार्यकाल में वह इस रफ्तार को भी कायम नहीं रख सके। इस अवधि में बहस में हिस्सेदारी का उनका प्रदर्शन शून्य रहा।
बहुत उल्लेखनीय नहीं रही सदन में उपस्थिति
सदन में उपस्थिति को लेकर भी शत्रुघ्न सिन्हा का मौजूदा कार्यकाल बहुत अच्छा नहीं रहा। 2009 से 2014 सदन में उनकी उपस्थिति 75 फीसद रही, लेकिन अपने मौजूदा कार्यकाल में उनकी उपस्थिति का आंकड़ा घटकर 67 फीसद पर आ गया, हालांकि संसद के आंकड़ों के हिसाब से सांसद निधि खर्च के मामले में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है।
अपने मौजूदा कार्यकाल में वह 22.5 करोड़ रुपये की राशि व्यय कर चुके हैैं, जबकि 2009-2014 के पांच साल के कार्यकाल में उन्होंने 19.48 करोड़ की राशि खर्च की थी।