दिल्ली-मुंबई की तरह हाईटेक होगी पटना पुलिस की साइबर यूनिट
वारदात को अंजाम देने के बाद अपराधी अब ज्यादा दिनों तक पटना पुलिस से बचकर नहीं रह सकते। पटना पुलिस अब पल-पल उनका पीछा करती रहेगी।
पटना [जेएनएन]। वारदात को अंजाम देने के बाद अपराधी अब ज्यादा दिनों तक पटना पुलिस से बचकर नहीं रह सकते। पटना पुलिस अब पल-पल उनका पीछा करती रहेगी। राज्यभर में इस तकनीक का इस्तेमाल केवल बिहार एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) और ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई) का साइबर सेल कर रहा था, लेकिन अब यह व्यवस्था पटना पुलिस के पास भी होगी। इसका लाभ दूसरे जिलों की पुलिस को भी मिलेगा।
इस व्यवस्था को रियल टाइम मॉनीटरिंग सिस्टम कहा जाता है। इसके माध्यम से पुलिस को अपराधियों के हरेक पल की गतिविधि मिलती रहेगी। मसलन, वे किस रास्ते, कहां तक पहुंचे और कहां छिपे हैं।
कम्पास से मिलेगा ठिकाने का पता
आरटीएमएस की खासियत है कि यह तकनीक सेटेलाइट पर निर्भर होती है। इस सिस्टम में एक बार जो मोबाइल नंबर या आइएमईआइ नंबर फीड कर दिया गया, वह उसपर निगरानी बनाए रखता है। पूर्व में पुलिस अपराधी की शिनाख्त करने के लिए मोबाइल कंपनियों से उस इलाके का डंप डाटा निकालती थीं। उससे मालूम होता था कि घटना के वक्त उस इलाके के मोबाइल टावर से कितने नंबर जुड़े थे।
टावर की परिधि औसतन एक किलोमीटर की होती है, ऐसे में पुलिस को संदिग्ध अथवा आरोपित का मोबाइल नंबर पता करने में काफी वक्त लग जाता है। आरटीएमएस सेटेलाइट कम्पास के जरिए पुलिस को अपराधी के ठिकाने तक पहुंचा देगा।
देश और विदेश में मिलेगा प्रशिक्षण
पटना साइबर यूनिट ट्रैफिक एसपी कार्यालय में खुलेगी। पुलिस के पास मौजूदा समय में आठ पुलिस पदाधिकारी पूरी तरह ट्रेंड हैं। यूनिट में आइटी के कुछ विशेषज्ञ तैनात किए जाएंगे। साथ ही कंप्यूटर के जानकार जवानों को तैनात किया जाएगा। पटना पुलिस की यह यूनिट दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद की यूनिट को टक्कर देगी। प्रथम चरण में आधा दर्जन पुलिस पदाधिकारियों को हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली में विशेष प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। वहां से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद विदेश में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा।
पुलिस के लिए चुनौती बने साइबर क्राइम
पिछले एक साल में पटना में 300 से अधिक साइबर क्राइम के मामले दर्ज हुए। इसमें सबसे ज्यादा एटीएम पिन कोड पूछकर दूसरे के अकाउंट से रकम उड़ाने के हैं। नेट बैंकिंग फ्रॉड के केस भी कम नहीं। बानगी के तौर पर पटना वेस्ट में एटीएम बदलकर ठगी के 26, नेट बैंकिंग के 18 और एटीएम पिन कोड पूछ रकम उड़ाने के 71 केस दर्ज हुए हैं। पुलिस इन मामलों को सुलझा नहीं सकी है। कारण, साइबर अपराधी तक पहुंचने के तकनीकी ज्ञान की कमी रही है। साइबर क्राइम के शिकार सिर्फ आम लोग नहीं हुए हैं, इसमें कुछ बैंक भी शिकार हो चुके हैं।
दस सालों में साइबर क्राइम में 19 गुना वृद्धि
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 सालों के दौरान देश में साइबर क्राइम की संख्या में 19 गुना वृद्धि हुई है। 2005 में साइबर क्राइम से संबंधित केवल 481 मामले दर्ज किए गए थे, जिनकी 2014 में संख्या बढ़कर 9622 हो गई। इस दौरान साइबर क्राइम से जुड़े अपराधियों की गिरफ्तारी की संख्या भी बढ़ी है। 2005 में 569 साइबर अपराधियों को पकड़ा गया, जबकि 2014 में यह संख्या बढ़कर 5752 हो गई।
जल्द ही साइबर यूनिट खुलेगी। इससे अपराधी तक पहुंचना आसान होगा, साथ ही साइबर क्राइम रोकने में भी काफी मदद मिलेगी। अत्याधुनिक उपकरण से लैस होगी यूनिट और यह दूसरे राज्यों से बेहतर होगी।
- राजेश कुमार, डीआइजी