शहरवासी को खुश नहीं कर पाया पटना नगर निगम, User happiness segment नहीं मिले एक भी अंक
यूजर इंगेजमेंट व यूजर हैप्पीनेस कॉलम में पटना नगर निगम को एक भी अंक नहीं मिला है। इसके साथ ही निगम शहरवासियों को खुश करने में असफल हो गया है।
पटना, जेएनएन। केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के दूसरे क्वार्टर की रिपोर्ट ने जाहिर कर दिया है कि पटना नगर निगम एक भी शहरवासी को खुश नहीं कर पाया। रिपोर्ट के यूजर इंगेजमेंट व यूजर हैप्पीनेस कॉलम में पटना नगर निगम को एक भी अंक नहीं मिला। वहीं, गीला-सूखा कचरा का अलग निस्तारण नहीं होना भी पटना के पिछडऩे का महत्वपूर्ण कारण है।
नगर निगम के अधिकारी और पार्षद निराश
कम अंक लाकर देशभर में 273 रैकिंग पाने पर पटना नगर निगम के अधिकारी और पार्षद भी निराश हैं। मेयर सीता साहू ने कहा कि सुधार के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। गीला-सूखा कचरा के निस्तारण को गंभीरता से लेते हुए काम शुरू किया गया है। उम्मीद है कि अगले सर्वेक्षण में हमारा स्थान ऊपर होगा।
लिटरबिंस लगे पर नहीं हुआ फायदा
पटना नगर निगम अब तक गीले-सूखे कचरे का अलग निस्तारण करने की व्यवस्था नहीं बना सका है। शहर में दोनों तरह के कचरे अलग-अलग इकट्ठा करने के लिए हरे व नीले रंग के लिटरबिंस तो लगा दिए गए, लेकिन इसका सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। गीले कचरे को नष्ट करने के लिए सभी वार्डों में वर्मी कम्पोस्टिंग पिट बनाने की योजना भी अधर में लटक गई है। एक भी वार्ड में कम्पोस्टिंग पिट नहीं बना है।
खोखला साबित हुआ दावा
रामचक बैरिया में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत सूखे कचरे के निस्तारण के लिए प्लांट बनाया जाना था। उस कचरे से बिजली तैयार की जाती। इसके अलावा रि-साइकिलिंग प्लांट भी बनाने की योजना है, जिसे पिछले साल ही पूरा कर लेना था। लेकिन, निगम के दावे खोखले साबित हुए। प्लांट लगाने आईं दो कंपनियां निगम को धोखा देकर निकल गईं। अब हैदराबाद की कंपनी काम कर रही है।