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पटना के पीएमसीएच में खून का धंधा सामने आने पर कार्रवाई तो हुई, पर ऐसी कि उठने लगे नए सवाल

सात मई को पीएमसीएच के टाटा वार्ड में भर्ती कराई गई 65 वर्षीय मरीज उर्मिला देवी के पुत्र अनूप कुमार ने इसकी लिखित शिकायत की थी। उसने कुल 22 यूनिट खून लिया था जिसमें 15 यूनिट गुड्डू नामक दलाल से 60 हजार रुपये में खरीदा था।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sun, 23 May 2021 01:38 PM (IST)Updated: Sun, 23 May 2021 01:38 PM (IST)
पटना के पीएमसीएच में खून का धंधा सामने आने पर कार्रवाई तो हुई, पर ऐसी कि उठने लगे नए सवाल
पीएमसीएच में सामने आया था खून बेचने का काला सच। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। PMCH News: बिहार के सबसे बड़े अस्‍पताल पटना स्थित पीएमसीएच में खून की कालाबाजारी मामले में ब्लड बैंक के तीन लैब तकनीशियन को ओपीडी की पैथोलॉजी लैब में स्थानांतिरत कर दिया गया है। मुख्य दोषी को बचाने के लिए काउंटर पर बैठने वाले दो लैब तकनीशियन के साथ खून गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाले तकनीशियन को भी स्थानांतरित किया गया। ब्लड बैंक प्रभारी ने इस बाबत आदेश जारी कर दिए हैं।

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पीएमसीएच के ब्‍लड बैंक में खून की कालाबाजारी में जिनकी कोई भूमिका नहीं है, उन पर भी कार्रवाई से सवाल उठने लगे हैं। सोमवार को इसके विरोध में स्वर मुखर हो सकते हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन जांच जारी  रखने और अन्य लोगों पर बड़ी कार्रवाई होने की बात कह रहा है।

60 हजार रुपए में खरीदा था 15 यूनिट खून

बताते चलें कि सात मई को पीएमसीएच के टाटा वार्ड में भर्ती कराई गई 65 वर्षीय मरीज उर्मिला देवी के पुत्र अनूप कुमार ने इसकी लिखित शिकायत की थी। उसने कुल 22 यूनिट खून लिया था जिसमें 15 यूनिट गुड्डू नामक दलाल से 60 हजार रुपये में खरीदा था। पैसे खत्म होने पर खून का इंतजाम डोनर उपलब्ध कराने के बावजूद नहीं होने पर मां की जान बचाने के लिए उसने शिकायत की। हालांकि, अगले दिन ही उसकी मां मर गई। उसने सात दिन में इंडोस्कोपिक जांच न होने से लेकर इलाज व्यवस्था पर कई सवाल उठाए थे।

पेशेवर ब्‍लड डोनर से खून दिलाने का शक

ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. आरएन शुक्ल की जांच में पाया गया कि अनूप को उसकी मां के लिए जितने यूनिट खून दिया गया है वह डोनर या कॉल बुक डिमांड पर दिया गया है। इनमें से चार बार डॉक्टर ने कॉलबुक लिखी थी और अन्य बार डोनर दिए गए थे। ऐसे में गुड्डू नामक जिस दलाल ने अनूप को खून बेचा है,  हो सकता है उसने पेशेवर ब्लड डोनर से उपलब्ध करा कर खून दिया हो।

पुलिस करे जांच तो सामने आ सकता है गिरोह

अगर ऐसा भी है तो पुलिस द्वारा जांच कराने पर खून के दलालों का नेटवर्क तोड़ा जा सकता है। हालांकि, इसके विपरीत पीएमसीएच अधीक्षक के निर्देश पर ब्लड बैंक प्रभारी ने तीन लैब टेक्निशियन काउंटर पर खून मिलान आदि का काम देखने वाले प्रेम कुमार निराल व योगेंद्र प्रसाद सिंह के साथ खून को विभिन्न कंपोनेंट में तोड़ने से लेकर उसकी गुणवत्ता जांच करने वाले शिव कुमार मंडल को हटा कर ओपीडी की  पैथोलॉजी  में योगदान देने को कहा गया है।

ड्डू ने जिस मोबाइल नंबर पर पैसे ट्रांसफर कराए, नहीं हुई जांच

पीएमसीएच प्रशासन ने खून की कालाबाजारी रोकने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए। न तो ब्लड बैंक में सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए हैं, जिससे हर दिन वहां मंडराने वाले अवांछित तत्वों पर कार्रवाई हो सके और न ही सुरक्षाकर्मी तैनात  किए गए। और तो और अनूप ने जिस मोबाइल नंबर पर तीन बार पैसे भेजे हैं, उसे और गुड्डू के मोबाइल से उस दिन किस-किस कर्मचारी से  बात हुई है, की भी जांच नहीं कराई गई है। यह हाल तब है जब पीएमसीएच परिसर में इसके लिए अलग टीओपी है, जहां एक दारोगा समेत करीब 10 जवान तैनात हैं।

पैसे ट्रांसफर होने के दस मिनट बाद मिल जाता था खून

पीएमसीएच ब्लड बैंक से जिस समय अनूप को खून दिया जाता था, उसके ठीक पांच से दस मिनट पहले  ही पैसे ट्रांसफर किए जाते थे। इससे तथ्य को पीएमसीएच के अधिकारी भी जानते हैं, लेकिन जो मुख्य दोषी हैं उन पर कार्रवाई से परहेज किया जा रहा है।


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