पटना हाईकोर्ट: वीर कुंवर सिंह विवि के रजिस्ट्रार और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव तलब, कर्मचारी समायोजन का मामला
राज्य सरकार एवं विश्वविद्यालय द्वारा अलग-अलग एलपीए दायर कर हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इन कर्मचारियों की नियुक्ति और समायोजन को सही मानते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को उन्हें उनके पद पर बहाल करने का निर्देश दिया था।
राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाईकोर्ट ने आरा के वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय अंतर्गत विभिन्न कॉलेजों में कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों के समायोजन से संबंधित मामले में गुरुवार को सुनवाई की।
इस दौरान हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार एवं शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को सभी दस्तावेज के साथ अगली सुनवाई पर उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
न्यायाधीश पीबी बजनथ्री एवं न्यायाधीश अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा एलपीए याचिका पर सुनवाई की।
याचिका में हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा उस आदेश को निरस्त करने की गुहार की गई है जिसके तहत वर्ष 1978 से 1982 के बीच कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को नियमित करने के लिए निर्देशित किया गया था।
तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के पद पर नियुक्त हुए कर्मचारियों की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि इन कर्मचारियों की नियुक्ति नियमों के अनुसार वर्ष 1978 से 1982 के बीच में की गई थी।
इनका समायोजन वर्ष 2011 से 2013 के बीच की अवधि में किया गया। लगभग पांच वर्षों के बाद राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017 में इनसे सेवा नहीं लेने और उन्हें वेतन का भुगतान नहीं करने का आदेश दिया गया था।
राज्य सरकार और विश्वविद्यालय के इसी आदेश के खिलाफ 129 कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
राज्य सरकार एवं विश्वविद्यालय द्वारा अलग-अलग एलपीए दायर कर हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई है।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इन कर्मचारियों की नियुक्ति और समायोजन को सही मानते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को उन्हें उनके पद पर बहाल करने का निर्देश दिया था।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन कर्मचारियों को उनके पद पर योगदान नहीं कराया और हाईकोर्ट की एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अपील दायर कर दी। इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।