दारोगा बहाली: गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को पटना हाईकोर्ट से झटका, नहीं मिली छूट
बिहार में दारोगा बहाली को लेकर गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को पटना हाईकोर्ट के फैसले से झटका लगा है। उनके आवेदन पर पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण आदेश दिया है।
पटना [जेएनएन]। बिहार में दारोगा बहाली को लेकर गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को पटना हाईकोर्ट के फैसले से झटका लगा है। महिला अभ्यर्थियों की ओर से दिए गए आवेदन पर पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण आदेश दिया है। पटना हाईकोर्ट ने अपने में स्पष्ट किया कि राज्य में दारोगा व वार्डन बहाली के मामले में महिला गर्भवती अभ्यर्थियों को शारीरिक परीक्षा में कोई छूट नहीं दी जायेगी।
पटना हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि नौकरी मौलिक अधिकार नहीं है, जिससे यह कहा जाए कि अनुच्छेद 21 का उल्लंघन हुआ है। फिर राज्य सरकार की मर्जी पर है कि वह ऐसी महिलाओं को अवसर दे अथवा नहीं? इस प्रकार शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश एपी शाही एवं न्यायाधीश अंजना मिश्रा की दो सदस्यीय खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को पलट दिया।
1900 पदों के लिए निकला था विज्ञापन
31 जुलाई 2015 को पुलिस सबऑर्डिनेट सर्विस कमीशन ने 1900 जेल वार्डन एवं दारोगा की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकला था। जबकि 30 अगस्त 2016 को लिखित परीक्षा हुई थी। लिखित परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों के लिए 9 मई 2017 को फिजिकल टेस्ट की तारीख निर्धारित थी। कई महिला उम्मीदवार गर्भवती होने के कारण फिजिकल परीक्षा से वंचित रह गई।
क्या कहा था एकलपीठ ने
एकल पीठ ने इशिका राज सहित 40 गर्भवती महिलाओं की याचिकाओं पर सुनवाई की थी। एकल पीठ का कहना था कि मातृत्व लाभ को नौकरी के लिए अभिशाप नहीं बनाया जा सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से फिजिकल टेस्ट के लिए अवसर दिया जाना चाहिए।
यह थी महाधिवक्ता की राय
इस मसले पर राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा था कि यह केवल एक महिला का सवाल नहीं है। बल्कि, सब महिलाओं का अलग-अलग समय में फिजिकल टेस्ट लेना होगा। क्योंकि, सबके गर्भ धारण करने का समय अलग-अलग है। इस प्रकार की छूट देने से अनेक प्रकार की समस्याएं होती रहेंगी।