दुष्कर्म से गर्भवती हुई नाबालिग के मामले में पटना हाईकोर्ट का आदेश, डाक्टरों को करना होगा यह काम
Patna High Court News पटना हाईकोर्ट में बुधवार को दो महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई हुई। दुष्कर्म पीड़िता का गर्भपात कराने का आदेश कोर्ट ने दिया। वहीं आयुर्वेदिक और होमियोपैथिक चिकित्सकों की उम्र को लेकर भी फैसला सुनाया है।
राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने एक दुष्कर्म पीड़िता (Misdeed Victim) के गर्भपात से संबंधित मामले में दो सदस्यीय डाक्टरों की टीम गठन करने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने डाक्टरों को पीड़िता की फौरन जांच कर कानून के तहत गर्भपात कराने की कार्रवाई करने का आदेश दिया है। न्यायाधीश अनिल कुमार की एकलपीठ ने नाबालिग के साथ हुए दुष्कर्म के बाद गर्भवती बच्ची के गर्भपात कराने के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई करते उक्त आदेश दिया।
डीएमसीएच अधीक्षक से संपर्क करने का आदेश
सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि 16 वर्षीय नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार बच्ची गर्भवती पाई गई। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मेडिकल जांच के दौरान बच्ची 19 वर्ष की पाई गई है। कानून में 24 सप्ताह तक का गर्भपात करने की अनुमति है। कोर्ट ने पीड़िता तथा उसकी मां को डीएमसीएच के अधीक्षक से संपर्क करने का आदेश दिया।
आयुर्वेदिक व होमियोपैथी डाक्टरों की नियुक्ति उम्र में 23 व 22 वर्ष की छूट
पटना हाई कोर्ट ने आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति में आयुर्वेदिक व होमियोपैथी डाक्टरों की अधिकतम उम्र सीमा में 23 एवं 22 वर्षों की छूट देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। न्यायाधीश पीबी बजनथ्री की एकलपीठ ने अरुण कुमार मिश्रा एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता चक्रपाणि ने बताया कि राज्य के आयुष चिकित्सा पदाधिकारियों की नियुक्ति दशकों बाद हो रही है। उन्होंने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग से 2006 में जारी हुए परिपत्र से वर्णित किया गया कि अधिकतम उम्र सीमा में छूट देते वक्त सरकार को उस समय अंतराल को भी ध्यान रखना है जो पिछली और वर्तमान रिक्तियों के प्रकाशन में बीत गया। राज्य में आयुर्वेदिक और होमियोपैथी डाक्टरों की पिछली बहाली 1997 और 1998 में हुई थी। इसके मद्देनजर राज्य सरकार को उक्त दोनों श्रेणी के चिकित्सकों की नियुक्ति हेतु उनकी अधिकतम उम्र सीमा में क्रमश: 23 और 22 वर्षों की रियायत मिलनी चाहिए। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनते हुए उपरोक्त मामले को निष्पादित कर दिया।