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Bihar Municipal Election: बिहार में टला नगर निकाय चुनाव, पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद निर्वाचन आयोग का निर्णय

Bihar Municipal Election पटना हाईकोर्ट के बिहार में नगर निकाय चुनाव पर फैसले के बाद राज्‍य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। 10 व 20 अक्‍टूबर को होने वाले मतदान स्‍थगित कर दिए गए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Vyas ChandraPublished: Tue, 04 Oct 2022 01:10 PM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 08:50 AM (IST)
Bihar Municipal Election: बिहार में टला नगर निकाय चुनाव, पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद निर्वाचन आयोग का निर्णय
बिहार में नगर निकाय चुनाव पर लगी रोक। सांकेतिक तस्‍वीर

पटना, जागरण टीम। Bihar Municipal Election: राज्‍य निर्वाचन आयोग ने बिहार में 10 और 20 अक्टूबर को होने वाले नगर निकाय चुनाव को स्थगित कर दिया है। आयोग ने यह फैसला पटना उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका (सुनील कुमार बनाम राज्य सरकार एवं अन्य) में मंगलवार को न्यायालय द्वारा जारी आदेश के आलोक में लिया है। न्‍यायालय ने आदेश दिया है कि निर्वाचन आयोग चुनाव को लेकर फिर से अधिसूचना जारी करे। अधिसूचना उन पदों के लिए जारी की जाएगी जो ओबीसी के लिए आरक्षित थे। वैसे पदों को अब सामान्य श्रेणी में रखा जाएगा। इस बीच बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है।

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पटना हाईकोर्ट के फैसला के बाद आयोग का निर्णय

पटना हाईकोर्ट द्वारा बिहार के स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मामले पर फैसला सुनाने के बाद चुनाव आयोग ने यह निर्णय लिया है। हार्ईकोर्ट ने कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य घोषित कर चुनावी प्रक्रिया को शुरू कर सकता है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जब तक बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर लेती, तब तक अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटें सामान्य मानी जाएंगी। इसके साथ ही अति पिछ़ड़ों को आरक्षण देने से पहले हर हाल मे ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

नगर निकाय चुनाव को लेकर पटना हाईकोर्ट के आदेश से बिहार सरकार संतुष्‍ट नहीं है। सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार जल्‍दी ही सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करेगी।

10 अक्टूबर से शुरू होने वाले थे नगर निकाय चुनाव

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने एक अप्रेल, 2022 को सूचना जारी करते हुए राज्य चुनाव आयोग को चुनाव करवाने का आदेश दिया था। इसके तहत राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव आगामी 10 अक्टूबर से शुरु होने वाले थे।

स्वायत्त व स्वतंत्र रूप में कार्य करे चुनाव आयोग: कोर्ट

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने 86 पृष्ठों का निर्णय को देते हुए कहा कि "चुनाव आयोग को एक स्वायत्त और स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करना, न की बिहार सरकार के हुक्म से बंध कर।'' गौरतलब है कि स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण दिये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में फैसला सुनाया था, जिसके अनुसार स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती। पटना हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी (कोर्ट मित्र) वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि जांच के प्रावधानों के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के पिछड़ेपन पर आंकड़ा जुटाने के लिए एक विशेष आयोग का गठन करने व आयोग की अनुशंसा के आलोक में प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात निर्धारित करने की जरूरत है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा के. कृष्णा मूर्ति, सुनील कुमार, विकास किशनराव  गावली, सुरेश महाजन, राहुल रमेश वाघ और मनमोहन नगर के मामले में दिए गए निर्देश के संबंध में भी जिक्र किया गया है।

क्या है ट्रिपल टेस्ट? ...जानिए

सुप्रीम कोर्ट ने जो ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला बताया था, उसमें उस राज्य में ओबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की अनुशंसा के अनुसार प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने को कहा था । इसके साथ - साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि एससी, एसटी, ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल सीटों का 50 फीसदी की सीमा से ज्यादा नहीं हो । खंडपीठ ने अपने फैसले की प्रति राज्य के मुख्य सचिव और राज्य निर्वाचन आयुक्त को भी भेजने को कहा है। हाई कोर्ट ने इस मामले पर 29 अक्टूबर को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसका फैसला दशहरा की छुट्टी में सुनाया गया।


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