पटना हाईकोर्ट सुना रहा है अजब-गजब फैसले, जमानत चाहिए तो करना होगा ये काम, जानिए
कोरोना काल में पटना हाईकोर्ट अजीब-गजब फैसले सुना रहा है। कोर्ट ने जहां शराब के जुर्म में पकड़े गए अभियुक्त को अनोखी जमानत दी वहीं एक अन्य अभियुक्त को भी दी गई जमानत चर्चा में है।
पटना, राज्य ब्यूरो। पटना उच्च न्यायालय कोरोना काल में अपने फैसलों को लेकर चर्चा में है। कोर्ट ने एक बार फिर अभियुक्त को इस शर्त पर ज़मानत दी है कि उसे अस्पताल में जाकर कम से कम तीन महीने तक कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा कोरोना योद्धा की तरह करना होगा। उसके बाद ही जमानत पक्की होगी l
न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय की पीठ ने बुधवार को अभियुक्त मनोज कुमार को जमानत तो दे दी। साथ ही यह भी कहा कि अभियुक्त को देखना होगा कि अस्पताल में कोई कोरोना के मरीज से संबंधित काम तो नहीं है, अगर काम है तो उन्हें वहां जाकर मरीज की सेवा करनी होगी l
कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त कुमार स्वयंसेवक के रूप में अपनी सेवा तीन महीने तक लगातार देते रहेंगे l बता दें कि आरोपित इस मामले में 25 जनवरी 2020 से जेल गए हैं l
पटना हाई कोर्ट का ये इस तरह का यह दूसरा आदेश है। इसके पहले भी कोर्ट ने इसी शर्त पर एक बिल्डर को जमानत दी थी। यह मामला बेगूसराय के अनुसूचित जाति जनजाति न्यायालय के विशेष न्यायाधीश रविंद्र सिंह की अदालत में लंबित है l
इससे पहले पटना हाई कोर्ट ने शराबबंदी में शराब बरामद होने पर अभियुक्त की ज़मानत का एक नया नुस्ख़ा दिया था। कोर्ट ने कहा था कि शराब बरामद होने के हिसाब से राशि जमा कराने की सहमति देने वाले अभियुक्तों को जमानत पर रिहा कर दिया जायेगा, लेकिन आरोपितों को ये पैसा पीएम केयर्स (PM-Cares) फंड में जमा करना होगा। न्यायाधीश अंजनी कुमार शरण ने शनिवार को एक नहीं बल्कि शराबबंदी से सम्बंधित कई मामलों में ये फ़ैसला दिया था। इससे अनुमान है कि पीएम केयर्स फंड में कम से कम तीन लाख रुपये जमा हुए होंगे।
कोर्ट ने निचली अदालत को आदेश दिया कि किसी आरोपित की ज़मानत याचिका तभी स्वीकार की जाए, जब वह पीएम केयर्स फंड में जमा की गई राशि का रसीद दिखाए। किसी भी आरोपित ने ज़मानत की इस शर्त पर अपना विरोध नहीं जताया है।
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