पटना हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, कंप्यूटर युग में हाथ से क्यों लिखी जाती है डायरी
पुलिस की ओर से हाथ से लिखी स्टेशन डायरी पर पटना हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। सरकार से पूछा है कि केस डायरी कंप्यूटराइज्ड या डिजिटल क्यों नहीं होती है?
पटना [राज्य ब्यूरो]। पटना हाईकोर्ट ने एक लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि कोर्ट में पेश की जाने वाली केस डायरी डिजिटल या कंप्यूटराज्ड क्यों नहीं होती है? यह हाथ से लिखी हुई ही क्यों होती है? न्यायाधीश ज्योति सरन एवं न्यायाधीश अरविन्द श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मंगलवार को ओम प्रकाश की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त जानकारी मांगी।
थानों में दर्ज होने वाली मामलों की जांच कर केस डायरी हाथ से लिखने के बजाय डिजिटल (कंप्यूटराइज्ड) किए जाने की मांग को लेकर ओम प्रकाश ने लोकहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि किसी भी आपराधिक मामले के जांचकर्ता (आइओ) केस डायरी हाथ से लिखा करते हैं। लिखावट साफ नहीं होने के कारण अभियुक्तों को इसका लाभ मिल जाता है।
सरकारी वकील एवं जज जमानत या ट्रायल के दौरान ठीक से केस डायरी नहीं पढ़ पाते हैं। इसके अलावा केस के ट्रायल के दौरान एपीपी भी हाथ से लिखी गई केस डायरी ठीक से पढ़ नहीं पाते हैं। कभी कभी तो खुद केस डायरी लिखने वाले दरोगा भी अपनी ही लिखावट की केस की डायरी तक नहीं पढ़ पाते हैं।
महाधिवक्ता ललित किशोर ने इस मामले में जवाब देने के लिए अदालत से समय देने की मांग की, फलस्वरूप अदालत ने 16 अप्रैल तक जवाब देने का निर्देश दिया है। पुन: 16 अप्रैल 2019 को इस मामले की सुनवाई की जाएगी।