उम्रकैद की सजा काट रही महिला को पटना हाईकोर्ट ने किया बरी, निचली अदालत का फैसला किया निरस्त
उम्रकैद की सजा काट रही एक भिखारन को संदेह का लाभ देते हुए उसे पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह एवं न्यायाधीश खातिम रजा की खंडपीठ ने नसरा खातून की अपील को मंजूरी देते हुए निचली अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया।
राज्य ब्यूरो, पटना : पटना हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रही एक भिखारन को संदेह का लाभ देते हुए उसे बरी कर दिया। न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह एवं न्यायाधीश खातिम रजा की खंडपीठ ने नसरा खातून की अपील को मंजूरी देते हुए निचली अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया जिसके तहत उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। अपील करने वाली महिला पर उसकी चार साल की भतीजी की हत्या करने का आरोप था। आरोपी भिखारियों के समुदाय से थी जो भीख मांगकर जीवन यापन करते हैं। 20 जुलाई, 2010 को गांव वालों की भीड़ ने हत्या का आरोप लगाते हुए महिला को पुलिस को सौंपा दिया था।
वह 12 साल तक जेल में रही और एक बार भी जमानत नहीं मिली। दरभंगा की एक निचली अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और पांच हजार रुपये जुर्माना भरने की सजा 2013 में सुनाई थी। जिसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील दायर की। गौरतलब है कि अपीलार्थी जेल के अंदर ही एक बच्चे की मां बनी और इसी आधार पर उसकी सजा पर रोक लगाने की गुहार लगाई गयी थी। लेकिन अपील कई वर्षों से लंबित थी, क्योंकि अपीलार्थी की गरीबी के कारण उसका पक्ष कोर्ट के समक्ष नहीं रखा जा सका। इन परिस्थितियों को देखते हुए हाई कोर्ट ने इस मामले में एडवोकेट आशहर मुस्तफा को कोर्ट मित्र नियुक्त करते हुए सुनवाई जारी रखी। अधिवक्ता मुस्तफा ने कोर्ट को बताया कि अभियोजन के गवाहों में विरोधाभास है, जिसको हाई कोर्ट ने सही पाते हुए अपीलार्थी को बरी कर दिया।