Move to Jagran APP

दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा पाए दो अभियुक्तों को पटना हाईकोर्ट ने किया बरी, जानें क्यों मिली राहत

दुष्कर्म के आरोप में उम्रकैद की सजा पाए दो अभियुक्तों को पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। फारेंसिक जांच एवं पीड़िता का बयान में विरोधाभास पाया गया है। गवाहों में विरोधाभास पाते हुए एवं संदेह का लाभ देते हुए उक्त दोनों अभियुक्तों को सजामुक्त कर दिया।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 04:47 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 04:47 PM (IST)
दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा पाए दो अभियुक्तों को पटना हाईकोर्ट ने किया बरी, जानें क्यों मिली राहत
पटना हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा पाए दो अभियुक्तों को बरी कर दिया। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में दुष्कर्म के आरोप में उम्रकैद की सजा पाए दो अभियुक्तों को बरी कर दिया। न्यायाधीश एएम बदर एवं न्यायाधीश राजेश कुमार वर्मा की खंडपीठ ने पश्चिम चंपारण के निवासी हीरा यादव एवं सुरेश यादव की अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा से मुक्त कर दिया। अपिलार्थियों की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोप से मेडिकल रिपोर्ट मेल नहीं खाती है। फारेंसिक जांच एवं पीड़िता का बयान में विरोधाभास पाया गया है। ऐसे में अदालत ने अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा से मुक्त कर दिया।

loksabha election banner

पीड़िता ने आरोप लगाया था कि दिनांक 17.04.2001 को जब वह पश्चिम चंपारण स्थित अपने गांव में परिवार के साथ सो रही थी तब रात के करीब 11 बजे हीरा यादव, सुरेश यादव एवं एक अन्य अभियुक्त उसके घर में जबरन घुस आए और उसके पिता के साथ मारपीट की। इसके बाद उपरोक्त सभी अभियुक्त उसे घसीटकर खेत में ले गए और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। मामल में पीड़िता ने दिनांक 18.01.2001 को भितहा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने उपरोक्त अभियुक्तों को दोषी मानते हुए 19.02.2014 को आइपीसी की धारा 376 (2) (g) के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई।

मामले में किसी भी स्वतंत्र गवाह का परीक्षण नहीं हुआ

अपिलार्थियों की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोप से मेडिकल रिपोर्ट मेल नहीं खाती है। इस पूरे मामले में किसी भी स्वतंत्र गवाह का परीक्षण नहीं हुआ है। पीड़िता के शरीर पर किसी प्रकार की चोट का निशान भी नहीं पाया है। फारेंसिक जांच एवं पीड़िता का बयान में विरोधाभास पाया गया है। इस पर खंडपीठ ने तथ्यों के मद्देनजर और गवाहों में विरोधाभास पाते हुए एवं संदेह का लाभ देते हुए उक्त दोनों अभियुक्तों को सजामुक्त कर दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.