लापरवाही की हद, महिला को मिल गई थी जमानत, सात साल जेल में काटी सजा
पटना हाईकोर्ट में एक अजीबोगरीब खुलासा हुआ है। जिस महिला को सात साल पहले कोर्ट ने जमानत दे दी थी वो महिला जमानत मिलने के बाद भी सजा भुगतती रही। इस लापरवाही पर कोर्ट भी हैरान है।
पटना [निर्भय सिंह]। जमानत मिल जाने की सूचना न मिलने की वजह से एक महिला को अपनी जिंदगी के सात साल जेल में गुजारने पड़े। गुरुवार को न्यायाधीश हेमंत कुमार श्रीवास्तव एवं न्यायाधीश आर के मिश्रा की दो सदस्यीय खंडपीठ ने प्रार्थी की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात पर बड़ी हैरानी जाहिर की।
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार सिन्हा ने अदालत को बताया कि अभियुक्त बिनीता देवी हत्या के एक मामले में 23 फरवरी 2011 को ही पटना हाई कोर्ट से बेल मिल गई थी। लेकिन अभियुक्त को इस बात की जानकारी नहीं मिल पाई । इसके चलते वह जेल से बाहर नहीं निकली और 7 साल तक जेल में रहना पड़ा।
न्यायाधीश शिवकीर्ति सिंह एवं न्यायाधीश गोपाल प्रसाद की दो सदस्यीय खंडपीठ ने विनीता देवी को 23 फरवरी 2011 को 10 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी । जमानत देने वाले दोनों जज शिव कीर्ति सिंह सुप्रीम कोर्ट से और गोपाल प्रसाद पटना हाई कोर्ट से सेवानिवृत हो चुके हैं ।
अभियुक्त के वकील ने अदालत को बताया कि फिलहाल बिनीता देवी भागलपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहीं है। बिनीता पर आरोप है कि उसने अपने पति को जहर देकर मार दिया था। यह घटना 2005 की है । प्राथमिकी मृतक के पिता ने दायर की थी । लेकिन यह भी बताया गया कि पीड़िता का पति टीबी का मरीज था जिससे उसकी मृत्यु हो गई । इस मामले में आवेदिका 2005 से लेकर अभी तक कुल 13 साल जेल में काट चुकी है।
अधिवक्ता कुमार ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट से जमानत मिलने की जानकारी जेलर को दी गयी । अॉर्डर भी दिखाए गए लेकिन उसने अभियुक्त को जेल से छोड़ने से यह कह कर मना कर दिया कि 2011 के आर्डर पर वे अभियुक्त को नहीं छोड़ सकते इसके लिए कोर्ट से ही अनुमति लेनी होगी । इस पर कोर्ट ने कहा कि उनके समक्ष ऐसा यह पहला मामला आया है। अदालत ने जमानत आदेश का नवीकरण कर दिया ।