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बिहार बोर्ड के अध्‍यक्ष पर पटना हाईकोर्ट की तल्‍ख टिप्‍पणी, कहा- पद के काबिल नहीं

बिहार बोर्ड के अध्‍यक्ष आनंद किशोर के खिलाफ पटना हाईकोर्ट ने सख्‍त रूख अपनाया है। कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश की अवहेलना को लेकर उन्‍हें अवमानना का नोटिस जारी किया है।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 09:08 PM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2018 09:54 AM (IST)
बिहार बोर्ड के अध्‍यक्ष पर पटना हाईकोर्ट की तल्‍ख टिप्‍पणी, कहा- पद के काबिल नहीं
बिहार बोर्ड के अध्‍यक्ष पर पटना हाईकोर्ट की तल्‍ख टिप्‍पणी, कहा- पद के काबिल नहीं

पटना [राज्य ब्यूरो]। पटना हाईकोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करते हुए कहा कि उन्हें कोर्ट का आदेश समझ में नहीं आता है, इसलिए वे इस पद के लायक नहीं हैं। न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की पीठ ने कुछ इंटरमीडिएट कॉलेजों के संचालकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिपण्णी की।

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कोर्ट ने कहा कि या तो उन्हें कोर्ट का आदेश समझ में नहीं आता, या फिर वे जानबूझ कर अदालती आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने स्वत: अवमानना का मामला शुरू करते हुए चेयरमैन को आठ अक्टूबर तक जवाब देने को कहा है।

स्‍कूलों का एफिलिएशन कर दिया रद

विदित हो कि पांच शैक्षणिक संस्थानों ने याचिका दायर कर अदालत को जानकारी दी थी कि परीक्षा समिति के अध्यक्ष ने करीब 200 विद्यालयों के एफिलिएशन को सिर्फ इसलिए रद कर दिया था कि  टॉपर घोटाले में इन विद्यालयों में संलिप्तता की आशंका जाहिर की गई थी। इस एकतरफा कार्रवाई के खिलाफ श्री राम चंद्र सीनियर सेकेंडरी स्कूल, बाबू लाल राय उच्च विद्यालय, भिखर राय बालिका उच्च विद्यालय, श्री कपिलदेव राय सीनियर सेकेंडरी स्कूल और आइडियल पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने अदालत की शरण ली थी। 

हाईकोर्ट के आदेश का नहीं किया पालन

इसपर अधिवक्ता अरुण कुमार एवं शमा सिन्हा ने कोर्ट को याद दिलाया कि पिछले साल अदालत ने 24 अगस्त को चेयरमैन के आदेश को निरस्त कर दिया था। कोर्ट के आदेश के बावजूद इन विद्यालयों का एफिलिएशन वापस नहीं किया गया। जब चेयरमैन के आदेश को निरस्त कर दिया गया तब स्वत: स्क़ूल को एफिलिएशन मिल जाना चाहिए था।

अधिवक्ताओं की तरफ से यह तर्क दिया गया था कि एफिलिएशन वापस लेने का अधिकार केवल चेयरमैन को नहीं होता है, बल्कि बोर्ड के सारे सदस्यों की एकमत राय होनी चाहिए। लेकिन चेयरमेन अपने आदेश को वापस लेने को तैयार नहीं हैं।


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