GPO में तीन माह से चल रही थी खजाना लूट, टेबल बदलने तक सिमटी कार्रवाई Patna News
जनरल पोस्ट ऑफिस (जीपीओ) में तीन माह पूर्व मई से ही सरकारी खजाने की लूट मच गई थी। हालांकि जीपीओ के अधिकारी अभी भी मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं।
By Edited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 09:23 AM (IST)
पटना, जेएनएन। जनरल पोस्ट ऑफिस (जीपीओ) में तीन माह पूर्व मई से ही सरकारी खजाने की लूट मची थी। अब पांच दिनों की विभागीय जांच में दो करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला सामने आया है। हालांकि जीपीओ के अधिकारी अभी भी मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं। खास बात तो यह है कि तीन माह से चल रही इस लूट की भनक विभागीय निगरानी और केंद्रीय जांच एजेंसी तक को नहीं लगी।
पांच दिनों की आंतरिक जांच में कार्रवाई के नाम पर कर्मचारियों की सिर्फ टेबल बदल दी गई और तीन आरोपित कर्मियों का निलंबन कर दिया गया। इसके बावजूद इस आपराधिक मामले की अफसरों ने अभी तक थाने में प्राथमिकी तक नहीं दर्ज कराई है। डाक विभाग के अधिकारियों को इस घोटाले की जानकारी तब हुई, जब हिस्सेदारी की लड़ाई में गुमनाम पत्र लिखा गया। अपनी गर्दन फंसती देख तत्काल तीन कर्मियों मुन्ना कुमार, राकेश कुमार व सुजय तिवारी को निलंबित कर दिया गया है। अब कांउटर पर नए कर्मी बैठाए जा रहे हैं।
प्राथमिकी दर्ज करने में पेच
घोटाले की प्राथमिकी दर्ज कराने में अब नया पेच फंस गया है। घटना की तारीख, समय व सूचना देने का समय अलग-अलग हो जाएगा। पुलिस अनुसंधान की कार्रवाई विभागीय स्तर से ही निपटाने की तैयारी चल रही है।
नहीं अपनाई गई सत्यापन प्रक्रिया
किसी भी खाताधारक के जमा धन की परिपक्वता होने पर उसका हस्ताक्षर, पता व सर्टिफिकेट का सत्यापन किया जाता है। क्लर्क से लेकर कैशियर व वरीय पदाधिकारी की मुहर के बाद धन भुगतान होता है। इस घोटाले में किसी स्तर पर आपत्ति नहीं होती थी। धड़ल्ले से सत्यापन की खानापूर्ति कर भुगतान किया जाता था। पैसे का बंटवारा जब तक समान रूप से होता रहा, यह मामला दबा रहा। जब हिस्सेदारी में घोटाला हुआ तो गुमनाम पत्र लिखा गया। विभाग अब तक गुमनाम पत्र लिखने वाले की भूमिका की छानबीन नहीं कर पाया है।
पैसा जमा कर दोष मुक्त
सरकारी खजाने से धन निकालने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने में वक्त लग रहा है ताकि पैसा जमा कराकर मामले का निपटारा कर दिया जाए। विभागीय जांच के बहाने कानूनी कार्रवाई से बचाव की गुंजाइश बनी रहेगी।
पांच दिनों की आंतरिक जांच में कार्रवाई के नाम पर कर्मचारियों की सिर्फ टेबल बदल दी गई और तीन आरोपित कर्मियों का निलंबन कर दिया गया। इसके बावजूद इस आपराधिक मामले की अफसरों ने अभी तक थाने में प्राथमिकी तक नहीं दर्ज कराई है। डाक विभाग के अधिकारियों को इस घोटाले की जानकारी तब हुई, जब हिस्सेदारी की लड़ाई में गुमनाम पत्र लिखा गया। अपनी गर्दन फंसती देख तत्काल तीन कर्मियों मुन्ना कुमार, राकेश कुमार व सुजय तिवारी को निलंबित कर दिया गया है। अब कांउटर पर नए कर्मी बैठाए जा रहे हैं।
प्राथमिकी दर्ज करने में पेच
घोटाले की प्राथमिकी दर्ज कराने में अब नया पेच फंस गया है। घटना की तारीख, समय व सूचना देने का समय अलग-अलग हो जाएगा। पुलिस अनुसंधान की कार्रवाई विभागीय स्तर से ही निपटाने की तैयारी चल रही है।
नहीं अपनाई गई सत्यापन प्रक्रिया
किसी भी खाताधारक के जमा धन की परिपक्वता होने पर उसका हस्ताक्षर, पता व सर्टिफिकेट का सत्यापन किया जाता है। क्लर्क से लेकर कैशियर व वरीय पदाधिकारी की मुहर के बाद धन भुगतान होता है। इस घोटाले में किसी स्तर पर आपत्ति नहीं होती थी। धड़ल्ले से सत्यापन की खानापूर्ति कर भुगतान किया जाता था। पैसे का बंटवारा जब तक समान रूप से होता रहा, यह मामला दबा रहा। जब हिस्सेदारी में घोटाला हुआ तो गुमनाम पत्र लिखा गया। विभाग अब तक गुमनाम पत्र लिखने वाले की भूमिका की छानबीन नहीं कर पाया है।
पैसा जमा कर दोष मुक्त
सरकारी खजाने से धन निकालने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने में वक्त लग रहा है ताकि पैसा जमा कराकर मामले का निपटारा कर दिया जाए। विभागीय जांच के बहाने कानूनी कार्रवाई से बचाव की गुंजाइश बनी रहेगी।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें