Patna Dussehra Tragedy: हर साल दशहरा में याद आता है वो हादसा, हद यह कि सीएम मांझी तक को नहीं थी जानकारी
Patna Dussehra Tragedy दशहरा में पटना गांधी मैदान में रावण दहन की परंपरा है। साल 2014 में इसी आयोजन के दौरान दर्दनाक हादसा हुआ था। इसके पीछे प्रशासनिक लापरवाही को जिम्मेदार माना गया था। घटना की जानकारी तत्कालीन सीएम जीतनराम मांझी को तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दी थी।
पटना, आनलाइन डेस्क। Patna Dussehra Tragedy: दशहरा के अवसर पर बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में रावण का पुतला दहन करने की परंपरा है। पटना के गांधी मैदान (Patna Gandhi Maidan) में भी लंबे समय से यह परंपरा निभाई जा रही है। हां, कोरोनावायरस संक्रमण (CoronaVirus Infection) के कारण दो साल यह कार्यक्रम बंद रहा तो पिछले साल इसका प्रतीकात्मक आयोजन किया गया। इस साल यहां दशहरा में रावण दहन की तैयारी की गई है। एक खास बात और। जब भी पटना के रावण दहन की बात होती है, साल 2014 में इस आयोजन के दौरान हुआ हादसा (Patna Gandhi Maidan Stampede) याद आ जाता है।
हादसे में गई 42 की जान, सौ से अधिक हुए घायल
वह साल 2014 का तीन अक्टूबर था। पटना के कंकड़बाग के रहने वाले राजकुमार सिंह बताते हैं कि जैसे ही वे कार्यक्रम देखकर पटना गांधी मैदान से निकले, भगदड़ मची दिखी। आम लोगों के लिए गांधी मैदान के केवल दो दरवाजे खुले थे, जिनसे निकलती भीड़ एक-दूसरे पर चढ़ते व कुचलते हुए भाग रही थी। कुछ देर बाद जब भीड़ छंटी तो सामने मौत का हृदयविदारक नजारा था। कितनी मौत हुई, तत्काल तो पता नहीं चला, लेकिन अगले दिन मीडिया से 42 लोगों की मौत और सौ से अधिक के घायल होने की जानकारी मिली।
लोगों के लिए थे मैदान के नौ में से केवल दो दरवाजे
उन दिनों पटना में लोयला हाइस्कूल के छात्र शुभम केसरी एवं अनिमेष भी वहीं थे। वे बताते हैं कि गांधी मैदान के नौ दरवाजों में से चार बंद थे। आम लोगों का जन-सैलाब केवल दो दरवाजों के ही भरोसे था। पटना में दैनिक जागरण के छायाकार अजित कुमार के अनुसार नौ में से खुले पांच दरवाजों में से तीन विशिष्ट लोगों के लिए आरक्षित थे।
सीएम जीतनराम मांझी को नहीं थी कोई जानकारी
दशहरा के रावण दहन कार्यक्रम के बाद आम लोगों की भीड़ को बाहर निकालने की व्यवस्था भगवान भरोसे थी। उस वक्त बिहार में महागठबंधन-1 की सरकार थी। तब सत्ताधारी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने भी घटना का कारण प्रशासनिक लापरवाही बताया था। हालत यह थी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को इस हादसे की जानकारी ही नहीं थी। वे कार्यक्रम के दौरान बीचे से ही अपने पैतृक गांव के लिए निकल गए थे। सूत्रों की मानें तो उन्हें घटना की जानकारी तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने दी। बाद में मांझी अस्पताल में घायलों से मिलने गए थे।
दशहरा के ही दिन हुआ था अमृतसर का रेल हादसा
दशहरा के दिन देश में हुए एक और हादसे की याद भी आती है। पटना के गांधी मैदान हादसे के चार साल बाद दशहरा के दिन 19 अक्तूबर 2018 के दिन अमृतसर में भी रावण दहन के दौरान बड़े रेल हादसे से पूरा देश हिल गया था। अमृतसर के जोड़ा फाटक इलाके में लोगों की भीड़ रेल ट्रैक पर खड़ी होकर रावण दहन कार्यक्रम देख रही थी। कार्यक्रम में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू अपनी विधायक पत्नी डा. नवजोत कौर के साथ शामिल थे। माहौल के शोर में ट्रैक पर आती ट्रेन के हार्न को लोगों ने नहीं सुना। ट्रेन लोगों को रौंदते हुए गुजर गई। इस दर्दनाक हादसे में पांच दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई। जबकि, डेढ़ सौ से अधिक लोग घायल हो गए। कार्यक्रम में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी विधायक पत्नी डा. नवजोत कौर को बुलाया गया था।
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