Move to Jagran APP

पटना डायल-100

शहर के दीघा शास्त्रीनगर राजीवनगर व पाटलिपुत्र में ताबड़तोड़ चोरियां हुई। एसएसपी व सिटी एसपी से लेकर एएसपी तक परेशान हैं। थानेदार भी अब चोर पकड़ने के बजाय चोरी बचाने में पूरी ताकत झोंके हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 08:55 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 08:55 AM (IST)
पटना डायल-100
पटना डायल-100

आशीष शुक्ल

loksabha election banner

देखना हम ही पकड़ेंगे चोर :

शहर के दीघा, शास्त्रीनगर, राजीवनगर व पाटलिपुत्र में ताबड़तोड़ चोरियां हुई। एसएसपी व सिटी एसपी से लेकर एएसपी तक परेशान हैं। थानेदार भी अब चोर पकड़ने के बजाय चोरी बचाने में पूरी ताकत झोंके हैं। एक थाने के थानेदार तो आधी रात के बाद गाड़ी में ही खाना खा रहे हैं और अपने के साथ दूसरे क्षेत्र में भी चोर तलाश रहे हैं। दो से अधिक कोई संदिग्ध दिखा तो दूर से ही चिल्ला रहे हैं.. धरो, पकड़ो। उन्हें अंधेरे में दिखने वाला हर शख्स चोर ही नजर आ रहा है। उसी थाने के एक पुलिस पदाधिकारी बताते हैं, जब थाने पर आ रहे हैं तो बस एक ही बात बोलते हैं, चोरी किसी भी क्षेत्र में हो, चोर तो हम ही पकड़ेंगे। पांच दिनों से वह रात में थाने या घर तक नहीं गए। गाड़ी में ही सोते हैं, लेकिन चोर हैं कि पकड़ में ही नहीं आ रहे। सेटिंग के चक्कर में साहब को मिला धोखा :

कोरोना काल में शिक्षण संस्थाएं बंद हैं। धावा दल से लेकर थाना पुलिस ऐसी संस्था पर नजर जमाए बैठी है, लेकिन अंदर खेल कुछ और ही चल रहा है। शहर में कोचिंग सेंटर का हब कहे जाने वाले इलाके में थाना पुलिस की ऐसी सेटिंग है कि बाहर से बंद और अंदर पढ़ाई चलती रहती है। हाल ही में एक अभिभावक की शिकायत पुलिस अधिकारी तक पहुंची। बताया गया कि कोचिंग चल रही है। उन्होंने थानेदार से पूछा तो बताया कि बंद है। प्रमाण के लिए उसने दो जवानों को कोचिंग सेंटर के बाहर खड़ा कर तस्वीर भी भेज दी। लेकिन, उन्हें क्या पता था कि सेटिंग के खेल से अनजान दूसरे थानेदार ने सच पहले ही साहब को बता दिया है। अभिभावक ने फिर फोन कर बताया कि बेटा तो कोचिंग सेंटर में है, फिर कौन बोल रहा कि बंद है? बाद में पता चला कि साहब को धोखा दिया गया है। सच तो यह था कि कोचिंग से भी सेटिंग थी। नक्शा लेकर घूमते हैं थानेदार :

शहर के बाहर एक ऐसा थाना है, जिसका इलाका तेजी से विकसित होता है। सीमा विवाद को लेकर अक्सर यह थाना सुर्खियों में रहता है। इन दिनों वहां के थानेदार सुर्खियों में हैं। नाम भी आगे-पीछे कहीं से लें, मतलब एक ही निकलता है। साहब के इलाके में अगर चोरी हो गई तो सांस फूलने लगती है। जेब से क्षेत्र का नक्शा निकालते हैं और फिर सीमा विवाद खड़ा कर देते हैं। फटकार लगने पर ही केस दर्ज करते हैं। एक इंस्पेक्टर इनके बारे में बताते हैं कि अगर गलती से कोई दूसरा थानेदार किसी सही काम के लिए पैरवी भी कर दे तो केस बिगड़ना तय है। साहब की आसपास की थाना पुलिस से भी नहीं बनती और न ही वह किसी के सहयोग में विश्वास रखते हैं। इसी वजह से कई पड़ोसी थानेदार भी दूरी बनाए रहते हैं। बिना 'माल' के नहीं मिलती 'सलामी' :

पटना सिटी का एक ऐसा थाना जो गेसिंग को लेकर अक्सर चर्चा में रहता है। उस थाने का जैसा नाम है, वैसा काम भी। बिना माल के सलामी मिलनी मुश्किल है। इस थाना क्षेत्र में गेसिंग को लेकर अक्सर बड़े साहब तक शिकायतें पहुंचती हैं। कई बार साहब भी उस थाने में तैनात पुलिस पदाधिकारी को फटकार लगा चुके हैं। एक पुलिस पदाधिकारी बताते हैं, मीटिंग में भी साहब ने उस थानेदार की कई बार क्लास ली है। थानेदार अपने थाना क्षेत्र में पेच कसते हैं तो पुलिसकर्मी सेटिंग से गेसिंग का धंधा चलवाते हैं। थाने में तैनात दो पदाधिकारी तो मुन्ना से लेकर मोहन तक का हिसाब रखते हैं। गेसिंग में किसने कितनी कमाई की, सबकी कुंडली रहती है। पता तो बडे़ बाबू को भी सबकुछ है, लेकिन अब वह भी थाने के नाम के मुताबिक खुद को मेंटेन रखते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.