बिहारः कोरोना को टायफायड बुखार मान गंभीर दशा में पहुंच रहे मरीज, ये लक्षण हो तो कराएं टेस्ट
बिहार की राजधानी में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पटना एम्स और इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में कई ऐसे मरीज आए जो टायफायड के टेस्ट में पॉजिटिव थे हालांकि दोबारा जांच में वे कोविड पॉजिटिव पाए गए।
नलिनी रंजन, पटना: पटना एम्स और इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में कई ऐसे मरीज आए जो टायफायड के टेस्ट में पॉजिटिव थे, हालांकि दोबारा जांच में वे कोविड पॉजिटिव पाए गए। दरअसल, वे कोरोना संक्रमण के कारण टायफायड जांच में पॉजिटिव आ जाते हैं। ऐसे में टायफायड का इलाज कराने लगते हैं। इस कारण उनकी स्थिति गंभीर हो जाती है।
टेस्ट किट की क्रॉस रिएक्टिविटी के कारण फॉल्स पॉजिटिव
एम्स के पल्मोनरी विभागाध्यक्ष डॉ. डीके राय व एसोसिएट प्रो. डॉ. सौरव करमाकर के अनुसार कोरोना मरीजों में टेस्ट किट की क्रॉस रिएक्टिविटी के कारण टायफायड और डेंगू के फॉल्स पॉजिटिव मामले आ रहे हैं। इस कारण मरीजों का सही उपचार नहीं हो पाता है। अचानक पांच-छह दिन बाद मरीजों का ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है।
बढ़ जाता है जान का खतरा
ऑक्सीजन कम होन के बाद उनकी कोरोना जांच कराई जाती है तो वे कोविड के गंभीर मरीज पाए जाते हैं। ऐसे में जान जाने का खतरा अधिक हो जाता है। उन्होंने बताया कि बीते 15-20 दिनों में ऐसे एक दर्जन मामले एम्स में आ चुके हैं। इनमें पाया गया कि मरीज बुखार होने के बाद कोरोना जांच नहीं कराकर टायफायड व डेंगू की जांच कराकर पॉजिटिव आने के बाद इसके उपचार में लग जाते हैं।
बुखार पर जरूर कराएं कोरोना की जांच
आइजीआइएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि अभी फॉल्स टायफायड व डेंगू के काफी मामले सामने आ रहे हैं। अचानक मरीजों का ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। इस कारण उन्हें सीधे आइसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ जाती है। यदि किसी को भी बुखार, जुकाम, बदन दर्द, दस्त, उल्टी आदि जैसे कोरोना के लक्षण दिखें तो बिना समय गंवाए कोविड की एंटीजन या आरटीपीसीआर जांच कराएं। गौरतलब हो कि राजधानी पटना में कोरोना के सबसे अधिक संक्रमित मिल रहे हैं। पटना में 18 हजार से अधिक एक्टिव केस हो गए हैं।