बिहार में राज्यसभा के लिए महागठबंधन की राह हुई आसान, बिना वोटिंग फैसले के आसार
बिहार में राज्यसभा चुनाव को लेकर राजनीति गर्म है। इसमें महागठबंधन की राह आसान दिख रही है। बिना वोटिंग फैसले के आसार हैं। क्या है पूरा मामला, जानिए।
पटना [सुभाष पांडेय]। बिहार में राज्यसभा की छह सीटों पर फैसला बिना वोटिंग का संभव दिख रहा। यानी जितनी सीट उतने उम्मीदवार की स्थिति बन रही। कांग्रेस विधायक दल में असंतोष के चलते यह संभावना बन रही थी कि छठी सीट के लिए कांग्रेस और एनडीए प्रत्याशी के बीच मुकाबला हो सकता है। अब भाकपा माले ने राजद को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। छठी सीट के लिए पर्याप्त वोट नहीं होने की वजह से एनडीए के नेता वोटिंग से कतरा रहे। उम्मीदवार नहीं देने पर विचार चल रहा है।
राज्यसभा की इन छह सीटों के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 12 मार्च है। अगर कोई सातवां प्रत्याशी मैदान में उतरा तभी 23 मार्च को मतदान होगा। इस बार एक प्रत्याशी को जीतने के लिए कम से कम 35 वोटों की आवश्यकता है। विधानसभा में संख्या बल के आधार पर राजद की दो, जदयू की दो और भाजपा के एक प्रत्याशी की जीत तय है। छठी सीट पर कांग्रेस को अपने 27 वोट के अलावा आठ अतिरिक्त वोट की जरूरत है।
राजद के पास अपने दो प्रत्याशियों की जीत के लिए आवश्यक 35-35 वोट आवंटित कर देने के बाद भी नौ अतिरिक्त वोट बचेंगे। ऐसे में अगर क्रास वोटिंग नहीं हुई तो कांग्रेस प्रत्याशी की जीत भी तय है।
भाजपा का प्रत्याशी घोषित, राजद-कांग्रेस में मंथन
भाजपा ने केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को प्रत्याशी बनाने की घोषणा पहले ही कर दी है। जदयू ने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और महेंद्र प्रसाद सिंह को फिर से प्रत्याशी बनाए जाने पर सहमति बन गई है। राजद से पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और कटिहार मेडिकल कालेज के अशफाक करीम की उम्मीदवारी के कयास लगाए जा रहे हैं। राबड़ी देवी अगर राज्यसभा गई तो पूर्व मंत्री जगदानंद को विधान परिषद में नेतृत्व संभालने के लिए भेजने की चर्चा है।
कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार और अखिलेश प्रसाद सिंह के नाम की चर्चा है। मैदान में सातवां प्रत्याशी के आने की स्थिति में कांग्रेस अखिलेश प्रसाद सिंह को मैदान में उतारेगी। अगर ऐसी नौबत नहीं आई तो मीरा कुमार कांग्रेस की प्रत्याशी हो सकती हैं।
वोटिंग से बचते रहे हैं नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यसभा और विधान परिषद के चुनावों में वोटिंग के पक्षधर नहीं रहे हैं। उनका हमेशा से मानना रहा है कि इससे खरीद फरोख्त को बढ़ावा मिलता है। भाजपा नेतृत्व भी छठी सीट के लिए मतदान कराने से इसलिए कतरा रहा है क्योंकि उसके पास एनडीए के सहयोगी दलों को लेकर सरप्लस वोट 21 ही है। चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी मिलने की स्थिति में यह संख्या 25 से आगे नहीं बढ़ रही है। कांग्रेस प्रत्याशी के पास अपने 27 वोट के अलावा राजद के नौ सरप्लस वोट यानी कुल 36 वोट है। चूंकि भाकपा माले ने राजद को समर्थन देने की घोषणा कर दी है, इसलिए राजद को इसके तीन वोट अपने कोटे में रखकर कांगे्रस प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी।