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बिहार विधानसभा चुनाव में दलों ने जुटाया 185.14 करोड़ का चंदा, 503 प्रत्याशियों ने जीत को खर्च किए इतने रुपये

राजद के अलावा सात दलों के चुनाव खर्च का ब्योरा अभी तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर नहीं है। महज दो राजनीतिक दलों ने तय समय-सीमा के अंदर खर्च का हिसाब जमा किया है। यह जानकारी बिहार इलेक्शन वाच और एडीआर ने सार्वजनिक की है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 11:01 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jun 2021 11:01 AM (IST)
बिहार विधानसभा चुनाव में दलों ने जुटाया 185.14 करोड़ का चंदा, 503 प्रत्याशियों ने जीत को खर्च किए इतने रुपये
सात दलों के बिहार विधानसभा चुनाव खर्च का ब्योरा अभी तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर नहीं है। प्रतीकात्मक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना : बिहार विधानसभा चुनाव-2020 में सर्वाधिक सीट जीतने वाले राजद के अलावा सात दलों के चुनाव खर्च का ब्योरा अभी तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर नहीं है। महज दो राजनीतिक दलों (माकपा और एआइएमआइएम) ने तय समय-सीमा के अंदर खर्च का हिसाब जमा किया है। यह जानकारी गुरुवार को चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था बिहार इलेक्शन वाच और एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म) ने सार्वजनिक की है। एडीआर के बिहार प्रमुख राजीव कुमार के अनुसार राजद के अलावा अभी तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जिन दलों के खर्च का ब्योरा नहीं हैं, उनमें भाकपा, लोजपा, रालोद, रालोसपा, जदयू (सेक्युलर), झामुमो और एनपीईपी हैं।

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बता दें कि विधानसभा चुनाव में नौ राजनीतिक दलों ने कुल 503 प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा और जीत के लिए 81.86 करोड़ रुपये खर्च करने की जानकारी दी है। वहीं, कुल 185.14 करोड़ रुपये चंदा जुटाने का हिसाब दिया है। अहम यह है कि सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के तमाम सख्ती के बावजूद देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के अलावा 15 दलों ने हफ्ते भर से लेकर 128 दिन विलंब से खर्च का हिसाब जमा किया है। आयोग के नियमानुसार चुनाव लड़ने वाले सभी दलों को अपने चुनाव खर्च का हिसाब चुनाव की अंतिम तिथि से 75 दिनों के अंदर जमा करना होता है।

बता दें कि राजनीतिक दलों को चुनाव घोषणा तिथि और चुनाव समाप्त होने की तिथि के बीच प्राप्त धन की सूचना भी इस ब्योरे में देना होता है। इसके अलावा प्रचार, यात्रा खर्च, अन्य खर्च, उम्मीदवारों पर किए गए खर्च और उम्मीदवारों के आपराधिक पृष्ठभूमि को प्रकाशित करने में किए गए खर्च को बताना होता है। एडीआर ने रिपोर्ट में छह राष्ट्रीय दलों और 11 क्षेत्रीय दलों के ब्योरे का आकलन किया है। इसमें सामने आया है कि केवल नौ दलों का ही चुनाव खर्च का विवरण चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। महत्वपूर्ण यह है कि एआइएफबी और एनसीपी दो ऐसे दल हैं, जिन्होंने चुनाव लडऩे के बावजूद केंद्रीय और राज्य इकाई स्तर पर कुछ भी व्यय घोषित नहीं किया है।

2015 की तुलना में 2020 में घट गया भाजपा का चंदा

रिपोर्ट के अनुसार, सन् 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अन्य दलों की तुलना में सबसे अधिक 51.66 करोड़ रुपये चंदा प्राप्त किया था। वहीं, पार्टी ने 2020 में महज 35.83 करोड़ रुपये की आय की घोषणा की है।  जदयू (55.607 करोड़ रुपये), बसपा (44.581 करोड़ रुपये) और कांग्रेस (44.536 करोड़ रुपये) चंदा जुटाने में कामयाब रही। 

तब भाजपा ने किया था सबसे अधिक खर्च

बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में, सभी दलों का कुल व्यय 150.99 करोड़ रुपये था, जिसमें भाजपा ने सबसे अधिक 103.76 करोड़ रुपये खर्च घोषित किया था। दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी ने (15.65 करोड़ रुपये), जदयू ने (13.63 करोड़ रुपये) और कांग्रेस ने (9.88 करोड़ रुपये) खर्च किया था, लेकिन 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने ही सबसे अधिक 54.721 करोड़ रुपये खर्च दर्शाया है। दूसरे नंबर पर कांग्रेस ने 12.352 करोड़ रुपये, जदयू ने 9.851 करोड़ रुपये और बसपा ने 4.794 करोड़ रुपये खर्च दिखाया है।


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