Lockdown in India: लॉकडाउन में बच्चों की दिनचर्या को अभिभावक इस तरह बनाएं हेल्दी-हेल्दी
लॉकडाउन जैसी अचानक बनी परिस्थितियों का बच्चों के कोमल मन पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इसका दुष्प्रभाव हालात सामान्य होने पर बच्चों पर नहीं दिखे इसे लेकर अलर्ट रहें अभिभावक जानें।
पटना, जेएनएन। लॉकडाउन जैसी अचानक बनी परिस्थितियों का बच्चों के कोमल मन पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इसका दुष्प्रभाव हालात सामान्य होने पर बच्चों पर नहीं दिखे, इसके लिए अभिभावकों को ही पहल करनी होगी। इसका एक ही उपाय है कि बच्चों को खाली नहीं बैठने दिया जाए। अभिभावक लॉक डाउन में मिले समय का फायदा उठाकर बच्चों की दिनचर्या को ऐसे ढालें जो जीवनभर उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रख सके। यह कहना है पटना एम्स में मनोरोग के विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज कुमार और पीएमसीएच के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमरदीप कुमार का।
हालात सामान्य होने पर चलेगा पता
डॉ. पंकज कुमार और डॉ. अमरदीप कुमार ने बताया कि अभी तो बच्चों समेत सभी की चिंता का विषय एक ही है। कोरोना की वजह से हुए लॉक डाउन से कितने बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ, यह तो हालात सामान्य होने पर ही पता चलेगा, लेकिन यह तय है कि दुष्प्रभाव तो पड़ रहा है।
बच्चों के मन में घर कर रहा है भय
बोरिंग रोड की नागेश्वर कॉलोनी निवासी उषा शर्मा (बदला नाम) के अनुसार उनके दोनों बच्चे अभी छोटे हैं। टीवी और हम लोगों की कोरोना पर बातचीत और आशंकाओं की बातों को लगातार सुनकर वह काफी शांत हो गया है। ठीक से खाता-पीता नहीं है और अक्सर सिर, कमर और बदन में दर्द की शिकायत करता है। कोरोना क्या है, क्या वह हमें मार डालेगा, जैसे न जाने कैसे-कैसे सवाल पूछता है। खुद एहतियात बरतने के साथ हमें भी मास्क लगाने, बार-बार हाथ धोने के लिए कहता है। खुद फर्श और दरवाजों को फिनायल से पोछना शुरू कर देता है। उसके इन बदलावों को देखकर चिंता होती है कि कहीं ये उसके अंदर कहीं गहरे में न बैठ जाए।
ये हैं समस्या के कारण
- बच्चों के सामने कोरोना की डरावनी न्यूज और भविष्य के प्रति आशंका को लेकर अभिभावकों की चर्चा।
- अभिभावकों के घर में रहने पर भी बच्चों का खुद को अकेला महसूस करना।
- बच्चों की स्कूल से छुट्टी व खेलने के लिए बाहर नहीं जा पाने को नहीं समझ पाना।
- कोरोना की आशंका में डूबे माता-पिता की चुप्पी और उनकी बातों से मन में डर समाना।
बच्चों में आ रहीं ऐसी समस्याएं
- नींद न आना, डर, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, मारपीट ज्यादा करना आदि।
- मोबाइल व इंटरनेट में लगे रहने से उनकी कमर-पीठ और सिर में दर्द की शिकायत।
- ऑब्सेसिस कंप्लसन डिसऑर्डर यानी बेवजह हाथ धोना और मास्क आदि पहनने की धुन।
- पहले से मानसिक समस्या से जूझ रहे बच्चों की समस्याएं और बढ़ीं।
समाधान के उपाय
- बच्चों के सामने न तो टीवी पर कोरोना की डरावनी खबरें देखें और न ही भविष्य को लेकर चर्चा करें।
- बेहतर होगा खबरों की मानसिक खुराक पूरी करने के लिए अखबार पढ़ें।
- बच्चों के साथ सुबह से सोने तक के हर पल के काम की बनाएं योजना।
- दिनचर्या में व्यायाम, योग, ध्यान, पढ़ाई, खेल से लेकर हॉबी तक को करें शामिल।
- न तो बच्चों को मोबाइल-इंटरनेट में डूबने दें और न ही खुद उसमें रमे रहें।
- घर के हर काम जैसे साफ-सफाई, खाना बनाने आदि में बच्चों की सहभागिता सुनिश्चित करें।
- पूरे परिवार की पुरानी फोटो, वीडियो और उससे जुड़े किस्से बच्चों को सुनाएं, ताकि उनका अपनों के प्रति लगाव बढ़े।