पटना के कूड़ा बिन रहे पढ़े-लिखे पर नोएडा वालोें ने दिखाई इंसानियत, परिजनों से मिलवाया
पटना के रहने वाले विकास कुमार उर्फ पप्पू भटकते हुए नोएडा पहुंच गए। रविवार को उन्हें कूड़ा बिनते कुछ लोगों ने देखा और इलाज करा परिजनों से मिलाने के लिए पुलिस को सौंप दिया।
By Edited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 01:45 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 08:46 AM (IST)
पटना, जेएनएन। राजधानी के कुम्हरार इलाके में रहने वाले विकास कुमार उर्फ पप्पू (39) कुछ समय से घर से लापता हो गए थे। विकास लंबे समय से मानसिक रोगी हैं इस लिए उनकी शादी भी नहीं हुई है। घर से भटकने के क्रम में वे चार-पांच महीने से ग्रेटर नोएडा के साइट-4 स्थित ग्रैंड वेनिस मॉल के सामने औद्योगिक क्षेत्र में पागलों की तरह घूम रहे थे। कूड़े के ढेर पर सोते थे और कचरे में फेंका जूठा खाना चुनकर खाते थे।
उनके गंदे और बदबूदार कपड़े और वेश-भूषा देखकर लोग पहले ही दूरी बना लेते थे। मानो कोई काटने वाला जानवर हो पर शनिवार को ग्रेटर नोएडा के रहने वाले सुनील नागर (26) की औद्योगिक क्षेत्र से गुजरते हुए अचानक उनकी नजर कूड़े के ढेर में पूरी लगन के साथ कुछ खोजने की कोशिश में जुटे पप्पू पर पड़ी। सुनील ने गाड़ी वहीं खड़ी कर दी। बाहर निकले और कुछ देर के लिए वहीं बैठ गए। निगाहें मिलते ही पप्पू नजर फेर लेते, लेकिन सुनील टकटकी लगाए उन्हें देखे जा रहे थे। तब पप्पू ने सामने से पूछा - क्या करने आए हो यहां? सुनील बोले, जो आप कर रहे हो।
...और मानलिया विश्वास
सुनील ने कहा, विश्वास करो मैं भी आपके ही जैसा हूं। पप्पू ने तब कहा- विश्वास तो मुझे देश के झंडे पर भी है, जिसे मैं हमेशा अपने पास रखता हूं। इसके साथ ही उनके मुंह से कुछ दोहे और अंग्रेजी के शब्द फूटे। सुनील समझ गए कि यह कोई पढ़ा-लिखा भटका हुआ व्यक्ति है, जिसे इलाज की जरूरत है। पप्पू से बोले, मैं आपको डॉक्टर के पास ले चलता हूं। पप्पू इन्कार कर रहे थे कि एकाएक उनके नाक से खून निकल गया। वो हीट स्ट्रोक था। सुनील ने फौरन 108 नंबर पर एंबुलेंस के लिए कॉल की। सामने से जवाब मिला - हम मानसिक रोगियों को नहीं लेकर जाते। फिर, 100 नंबर पर कॉल की और पुलिस को बुलाया। पुलिस की मदद से एंबुलेंस पर लादकर पप्पू को सरकारी अस्पताल में लेकर गए। वहां प्राथमिक उपचार के बाद पप्पू होश में आए, तब पुलिस भी वहां से चली गई। पुलिस अधिकारी ने सुनील से कहा - चुनाव का समय है, बल की कमी है।
झट से बता दिया दस अंकों का मोबाइल नंबर
खैर, सुनील वहीं डटे रहे। वह पप्पू को सैलून लेकर गए, जहां उनकी बाल-दाढ़ी कटवाई। इस दौरान पप्पू बड़बड़ा तो रहे थे, लेकिन सुनील की बातों को अच्छे से सुन और समझ रहे थे। सालों बाद गंदे बाल और दाढ़ी का बोझ हटने के बाद पप्पू तरो-ताजा महसूस कर रहे थे। विक्षिप्त की तरह हरकतें तो कर ही रहे थे, लेकिन कभी-कभी कुछ गंभीर बात कह देते। जैसे, फीलिंग गुड। वीडियो कॉल में भतीजे को देख भावुक हुए फूफा अस्पताल से लौटने के क्रम में सुनील पूछ बैठे - किसी रिश्तेदार का नंबर है तो बताइए। यह सुनकर पप्पू ने झट से 10 अंक बोले। सुनील ने उसे एक नंबर मानकर मोबाइल से कॉल लगाई तो पटना के केपी यादव ने कॉल रिसीव की। सुनील पूछे - आप किसी पप्पू को जानते हैं? जवाब मिला - हां, क्यों, क्या बात है? सुनील ने फिर पूछा - वो कहां हैं? इस बार जवाब मिला - मैं उसका फूफा हूं। उसके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है। उसकी मानसिक हालत सही नहीं हैं। हम नहीं जानते, अब वो कहां है।
सुनील ने कहा कि पप्पू मेरे साथ हैं। इतना सुनते ही केपी यादव भावुक हो गए। उन्होंने कहा - मैं तुरंत वीडियो कॉल करता हूं। मोबाइल पर पप्पू को 'लाइव' देखकर केपी यादव की आंखें भर आई। उन्होंने फौरन रोहित नाम के रिश्तेदार से संपर्क किया। रोहित अस्पताल पहुंचे और पप्पू की जिम्मेवारी ले ली। पप्पू के रिश्तेदारों ने सुनील का तहेदिल से शुक्रिया अदा किया।
उनके गंदे और बदबूदार कपड़े और वेश-भूषा देखकर लोग पहले ही दूरी बना लेते थे। मानो कोई काटने वाला जानवर हो पर शनिवार को ग्रेटर नोएडा के रहने वाले सुनील नागर (26) की औद्योगिक क्षेत्र से गुजरते हुए अचानक उनकी नजर कूड़े के ढेर में पूरी लगन के साथ कुछ खोजने की कोशिश में जुटे पप्पू पर पड़ी। सुनील ने गाड़ी वहीं खड़ी कर दी। बाहर निकले और कुछ देर के लिए वहीं बैठ गए। निगाहें मिलते ही पप्पू नजर फेर लेते, लेकिन सुनील टकटकी लगाए उन्हें देखे जा रहे थे। तब पप्पू ने सामने से पूछा - क्या करने आए हो यहां? सुनील बोले, जो आप कर रहे हो।
...और मानलिया विश्वास
सुनील ने कहा, विश्वास करो मैं भी आपके ही जैसा हूं। पप्पू ने तब कहा- विश्वास तो मुझे देश के झंडे पर भी है, जिसे मैं हमेशा अपने पास रखता हूं। इसके साथ ही उनके मुंह से कुछ दोहे और अंग्रेजी के शब्द फूटे। सुनील समझ गए कि यह कोई पढ़ा-लिखा भटका हुआ व्यक्ति है, जिसे इलाज की जरूरत है। पप्पू से बोले, मैं आपको डॉक्टर के पास ले चलता हूं। पप्पू इन्कार कर रहे थे कि एकाएक उनके नाक से खून निकल गया। वो हीट स्ट्रोक था। सुनील ने फौरन 108 नंबर पर एंबुलेंस के लिए कॉल की। सामने से जवाब मिला - हम मानसिक रोगियों को नहीं लेकर जाते। फिर, 100 नंबर पर कॉल की और पुलिस को बुलाया। पुलिस की मदद से एंबुलेंस पर लादकर पप्पू को सरकारी अस्पताल में लेकर गए। वहां प्राथमिक उपचार के बाद पप्पू होश में आए, तब पुलिस भी वहां से चली गई। पुलिस अधिकारी ने सुनील से कहा - चुनाव का समय है, बल की कमी है।
झट से बता दिया दस अंकों का मोबाइल नंबर
खैर, सुनील वहीं डटे रहे। वह पप्पू को सैलून लेकर गए, जहां उनकी बाल-दाढ़ी कटवाई। इस दौरान पप्पू बड़बड़ा तो रहे थे, लेकिन सुनील की बातों को अच्छे से सुन और समझ रहे थे। सालों बाद गंदे बाल और दाढ़ी का बोझ हटने के बाद पप्पू तरो-ताजा महसूस कर रहे थे। विक्षिप्त की तरह हरकतें तो कर ही रहे थे, लेकिन कभी-कभी कुछ गंभीर बात कह देते। जैसे, फीलिंग गुड। वीडियो कॉल में भतीजे को देख भावुक हुए फूफा अस्पताल से लौटने के क्रम में सुनील पूछ बैठे - किसी रिश्तेदार का नंबर है तो बताइए। यह सुनकर पप्पू ने झट से 10 अंक बोले। सुनील ने उसे एक नंबर मानकर मोबाइल से कॉल लगाई तो पटना के केपी यादव ने कॉल रिसीव की। सुनील पूछे - आप किसी पप्पू को जानते हैं? जवाब मिला - हां, क्यों, क्या बात है? सुनील ने फिर पूछा - वो कहां हैं? इस बार जवाब मिला - मैं उसका फूफा हूं। उसके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है। उसकी मानसिक हालत सही नहीं हैं। हम नहीं जानते, अब वो कहां है।
सुनील ने कहा कि पप्पू मेरे साथ हैं। इतना सुनते ही केपी यादव भावुक हो गए। उन्होंने कहा - मैं तुरंत वीडियो कॉल करता हूं। मोबाइल पर पप्पू को 'लाइव' देखकर केपी यादव की आंखें भर आई। उन्होंने फौरन रोहित नाम के रिश्तेदार से संपर्क किया। रोहित अस्पताल पहुंचे और पप्पू की जिम्मेवारी ले ली। पप्पू के रिश्तेदारों ने सुनील का तहेदिल से शुक्रिया अदा किया।
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