कांग्रेस के श्रीकृष्ण जयंती समारोह में विपक्ष की जुटान, उठी सवर्ण आरक्षण की भी मांग
बिहार कांग्रेस ने रविवार को प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह का जयंती समारोह मनाया। इसमें तेजस्वी यादव तथा जीतनराम मांझी सहित विपक्षी महागठबंधन के बड़े नेता उपसिथत रहे।
पटना [राज्य ब्यूरो]। लोकसभा चुनाव के ऐन पहले कांग्रेस ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह महागठबंधन के सहयोगियों को साथ लेकर बिहार में विचारधारा की लड़ाई लड़ेगी। रविवार को श्रीकृष्ण सिंह की 131वीं जयंती समारोह के बहाने कांग्रेस-राजद और हम के नेताओं ने एक मंच पर आकर विचारधारा की लड़ाई को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया और मिशन 2019 का एलान किया। एसकेएम हॉल में आयोजित समारोह में वक्ताओं ने केंद्र की भाजपा और प्रदेश की एनडीए सरकार पर जमकर हमला बोला। इसी मंच से हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सवर्णों के लिए 15 प्रतिशत आरक्षण की मांग भी उठाई।
गुजरात से कोई नहीं बाहर कर सकता बिहारियों को : गोहिल
समारोह में बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि बिहारियों को गुजरात में रहने से कोई नहीं रोक सकता है। गुजरात पर जितना हक गुजरातियों का है उतना ही बिहारियों का भी है। गुजरात के विकास में बिहार का पसीना लगा है।
गोहिल ने कहा कि बिहार-गुजरात का अटूट संबंध है। गुजरात यदि बापू की जन्मभूमि है तो बिहार उनकी कर्मभूमि है। ऐसे में कोई भी बिहारियों को गुजरात से बाहर नहीं कर सकता है। गोहिल ने भाजपा पर हमलावर होते हुए कहा देश के माहौल को विषाक्त बनाया जा रहा है। लोग मारे जा रहे हैं, लेकिन भाजपा को इससे मतलब नहीं। भाजपा को सिर्फ अपने वोट बैंक से मतलब है।
उन्होंने कहा बिहार में महागठबंधन के सहयोगियों के साथ मिलकर विचारधारा की लड़ाई को आगे बढ़ाना है। बिहार के विकास का ब्लू प्रिंट भी तैयार करना है।
सवर्ण गरीबों को मिले 15 फीसद आरक्षण : मांझी
'हम' के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मंच से मांग उठाई कि पिछड़े और दलितों की भांति सवर्ण गरीबों को भी 15 फीसद आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा समाज में भ्रांति फैलाकर सवर्ण गरीबों को आरक्षण से वंचित किया जा रहा है। मांझी ने कहा कि आज सवर्ण आरक्षण समय की मांग है और यदि इसके लिए संविधान में संशोधन की दरकार है तो वह भी होना चाहिए। मांझी ने अपने संबोधन में बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह को भारत रत्न देने की भी मांग की।
तेजस्वी का आह्वान: एकजुट होने की दरकार
समारोह में मौजूद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रदेश सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि आज ऐसी सरकारें हैं जहां सच बोलने पर सजा मिलती है और चाटुकारिता करने पर पद। कहा कुछ लोग बहुरूपिया हैं। पता ही नहीं चलता है कि साथ में हैं या पीठ में छूरा घोंप रहे हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा एनडीए को देश को जोडऩे नहीं, महागठबंधन तोडऩे की चिंता है।
कांग्रेस भूल सुधार कर बन सकती है मजबूत : मदन मोहन
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा ने कहा कि गोहिल के नेतृत्व में बिहार कांग्रेस में नई उर्जा का संचार हुआ है। बिहार के दो प्रभारी सचिवों ने भी बिहार में कांग्रेस को ऊंचाई देने में काफी मेहनत की है। उन्होंने कहा बीते वक्त में कांग्रेस से कई गलतियां हुई हैं जिसकी वजह से पार्टी आज इस स्थिति में है। हम अपनी भूल सुधार कर मजबूत बनेंगे।
सवर्ण आयोग तो बना पर 15 साल में नहीं आई रिपोर्ट : अखिलेश
जयंती समारोह के आयोजनकर्ता एवं कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा बिहार में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने के बाद ही सवर्ण आयोग का गठन किया था। लेकिन विगत 15 साल के दौरान सवर्ण आयोग ने कोई रिपोर्ट मुख्यमंत्री को नहीं सौंपी। उन्होंने कहा सवर्णों का इस्तेमाल सिर्फ वोटबैंक के लिए किया गया है । उन्होंने कहा भाजपा और आरएसएस सवर्णों का भला नहीं चाहते हैं।
समारोह में नहीं नजर आए कार्यकारी अध्यक्ष व सचिव
समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद, पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार, अवधेश कुमार सिंह, पूनम पासवान, भावना झा और ज्योति समेत दूसरे नेताओं ने भी अपनी बात रखी। लेकिन कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह और चारो कार्यकारी अध्यक्ष नहीं दिखे। इस मुद्दे को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी, समीर कुमार सिंह, श्याम सुंदर सिंह धीरज और डॉ. अशोक कुमार के साथ ही सदानंद सिंह ने आयोजन को लेकर शुरू से दूरी बनाकर रखी थी। कुछ का कहना है कि इन नेताओं को जानबूझकर आयोजन से दूर रखा गया था। इन नेताओं के साथ ही बिहार के कांग्रेस के दोनों प्रभारी सचिव बीरेंद्र सिंह राठौर और राजेश लिलौटिया भी समारोह में नहीं दिखे।