Move to Jagran APP

बिहार में केवल नीरज-अशोक उदाहरण नहीं हैं, सदस्यता खत्म होने पर पहले भी बने रहे हैं मंत्री

नीरज कुमार और अशोक चौधरी की विधान परिषद की सदस्यता खत्म होने के बाद भी पद पर बने रहने पर कांग्रेस ने सवाल उठाया लेकिन इसकी परिपाटी कांग्रेस के शासन में ही शुरू हुई थी।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Sat, 09 May 2020 07:53 PM (IST)Updated: Sun, 10 May 2020 12:15 PM (IST)
बिहार में केवल नीरज-अशोक उदाहरण नहीं हैं, सदस्यता खत्म होने पर पहले भी बने रहे हैं मंत्री
बिहार में केवल नीरज-अशोक उदाहरण नहीं हैं, सदस्यता खत्म होने पर पहले भी बने रहे हैं मंत्री

पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार में सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी की विधान परिषद की सदस्यता खत्म होने के बाद भी पद पर बने रहने को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाया है। पार्टी के विधान परिषद सदस्य प्रेमचंद्र मिश्रा ने नैतिकता के आधार पर दोनों से इस्तीफे की मांग की है, जबकि इसी स्थिति में मंत्री पद पर बने रहने की परिपाटी कांग्रेस शासन काल में ही शुरू हुई थी। यह 1986 की बात है। 

loksabha election banner

तब सरयू उपाध्‍याय बने रहे मंत्री 

कांग्रेस के नेता विन्देश्वरी दुबे 1985 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। उनके मंत्री परिषद में सरयू उपाध्याय शामिल हुए। वे ग्रामीण विकास विभाग के राज्यमंत्री बनाए गए। उपाध्याय विधान परिषद के सदस्य थे। 1986 के अप्रैल में उनका परिषद का कार्यकाल समाप्त हो गया। कांग्रेस ने उनकी जगह किसी और को परिषद का सदस्य बनाया। उन्हें इस उम्मीद में अगले छह महीने तक मंत्री परिषद में बनाकर रखा गया कि कहीं परिषद में रिक्ति हुई तो सदस्य बना दिया जाएगा। संयोग से इस अवधि में कोई रिक्ति नहीं हुई। बिना किसी सदन का सदस्य रहे उपाध्याय छह महीने तक राज्यमंत्री रहे। अवधि पूरी हुई और वे स्वत: मंत्री पद से हट गए। विन्देश्वरी दुबे मंत्री परिषद के सदस्य रहे वरिष्ठ कांग्रेस विधायक विजय शंकर दुबे ने बताया कि सरयू उपाध्याय उनके साथ थे। सदन का सदस्य नहीं रहने के चलते वे पद से हटे थे।

सीएम की भी लंबी सूची है

राज्य में विधानमंडल का सदस्य रहे बिना मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वालों की लंबी सूची है। 1997 में राबड़ी देवी जिस समय मुख्यमंत्री बनी थीं, वह किसी सदन की सदस्य नहीं थी। लालू प्रसाद ने सांसद रहते मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। कांग्रेस शासनकाल में चंद्रशेखर सिंह, भागवत झा आजाद सहित कई मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण के समय विधानमंडल के सदस्य नहीं थे। उनसे पहले समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर 1997 में सांसद रहते मुख्यमंत्री बने थे। 

खास बातें

  • सरयू उपाध्याय की भी बीच में खत्म हो गई थी सदस्यता
  • विन्देश्वरी दुबे ने उन्हें छह महीने तक मंत्री परिषद में रखा
  • किसी सदन का सदस्य न बनने पर पद छोडऩा पड़ा था

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.