बिहार में 46 फीसद शिशु ही जन्म के पहले घंटे में करते हैं स्तनपान
बिहार में शिशु मृत्यु दर में लगातार सुधार हो रहा है
पटना। बिहार में शिशु मृत्यु दर में लगातार सुधार हो रहा है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (2018) के हालिया सर्वेक्षण में बिहार में शिशु मृत्यु दर 32 (प्रति हजार जीवित जन्मे बच्चों में) है। हालांकि राज्य में पोषण से संबंधित संकेतकों में सुधार की दिशा में अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इसमें पांच साल से कम उम्र के बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। विश्व स्तनपान सप्ताह की समाप्ति पर जानकारी देते हुए यूनिसेफ के राज्य प्रमुख असदुर रहमान ने बताया कि काम्प्रिहेंसिव नेशनल न्यूट्रिशनल सर्वे (सीएनएनएस 2016-18 ) के अनुसार भारत में 57 फीसद शिशुओं को जन्म के पहले घटे में स्तनपान मिलता है और बिहार में यह आकड़ा 46 फीसद है। भारत में 58 फीसद बच्चों को छह माह तक सिर्फ मां का दूध दिया जाता है और बिहार में यह आकड़ा 62.7 फीसद है।
उन्होंने कहा कि बिहार में कुपोषण दूर करने के लिए इंफैंट एंड यंग चाइल्ड फीडिंग (आइवाइसीएफ) प्रथाओं को सुदृढ़ करने के लिए राज्य स्तरीय रिसोर्स सेंटर हैं। यूनिसेफ इसमें बिहार सरकार को तकनीकी सहयोग दे रहा है। एक वैश्विक अध्ययन का अनुमान है कि स्तनपान को बढ़ावा देने से पांच वर्ष से कम उम्र के विश्व के 8,20,000 से अधिक बच्चों की जान बचाई जा सकती है ।
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ध्यान देने वाली बातें
- जन्म के प्रथम घटे में यथाशीघ्र और जन्म से प्रथम छह माह तक सिर्फ मां का दूध ही बच्चे को दें
- छह माह पूर्ण होते ही शिशु को मां के दूध के साथ-साथ घर पर बना हुआ अर्द्ध ठोस आहार देने से शिशु का शारीरिक और बौद्धिक विकास तेजी से होता है।
- मां कोरोना से संक्रमित या संदिग्ध है तो भी स्तनपान जारी रख सकती है।