सूबे के मात्र 45 फीसद माताएं ही करातीं हैं स्तनपान
जन्म के आधे घंटे के अन्दर स्तनपान करना अनिवार्य मां के दूध से तेज होता है बच्चों का दिमाग
जन्म के आधे घंटे के अन्दर स्तनपान करना अनिवार्य
मां के दूध से तेज होता है बच्चों का दिमाग
जागरण संवाददाता, पटना : बच्चों को स्तनपान करना हमारी प्राचीन परंपरा रही है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि जैसे-जैसे समाज का विकास हो रहा है, माताओं में स्तनपान कराने की प्रवृति कम होती जा रही है। एक सर्वे के अनुसार राज्य की आधी से अधिक माताएं बच्चों को स्तनपान नहीं करा रही हैं। वे स्तनपान कराने के बजाए बच्चों को बोतल का दूध देना ज्यादा पसंद करती हैं। राज्य के मात्र 45 फीसदी माताएं बच्चे को स्तनपान करा रही हैं। ये बातें शुक्रवार को पीएमसीएच में स्तनपान सप्ताह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अस्पातल के शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ.एके जायसवाल ने कहीं।
डॉ.जायसवाल ने कहा कि मां के दूध पीने से बच्चे का दिमाग तेज होता है। उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। मां का दूध पीने वाले बच्चे में सूगर एवं मधुमेह की समस्या कम पाई जाती है।
डॉ.जायसवाल ने कहा कि छह माह तक के बच्चों को केवल मां का दूध देना है। इसके सिवा बच्चों को कुछ भी नहीं देना है। लेकिन राज्य के अधिकांश मां बच्चे को केवल दूध देने के साथ-साथ बाहरी दूध भी पिलाने लगती हैं, जो उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि बाहरी दूध के कारण ही बच्चे विभिन्न बीमारियों के शिकार होने लगते हैं। बाहरी दूध पर रहने वाले बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण वे आसानी से बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं।