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Bihar Assembly Elections 2020: राजद के साथ सरोकार से संतुष्ट नहीं है कांग्रेस का एक धड़ा

बिहार विधासभा चुनावः चुनावी मौसम में कांग्रेस में राजद के विरोध में स्वर उठने लगे हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ट्वीट कर विरोध जता चुके हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 04:15 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 03:43 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020: राजद के साथ सरोकार से संतुष्ट नहीं है कांग्रेस का एक धड़ा
Bihar Assembly Elections 2020: राजद के साथ सरोकार से संतुष्ट नहीं है कांग्रेस का एक धड़ा

सुनील राज, पटना। चुनाव नजदीक है, किंतु राजद के साथ सरोकार को लेकर कांग्रेस के स्वर में भी बुलबुले हैं। कुछ नेता शांत हैं तो कुछ को कांग्रेस के साथ राजद का अब तक का व्यवहार दोस्ताना नहीं लग रहा है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने पार्टी नेतृत्व को राजद की चालाकी की ओर इशारा किया है। पिछले हफ्ते अवधेश कुमार सिंह ने सदन में अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह को इसलिए आईना दिखाया था कि विशेष विमर्श के लिए कांग्रेस को जो समय दिया गया था, उसे उन्होंने राजद को दे दिया था। हाल के ये दो उदाहरण यह बताने के लिए काफी हैं कि राजद के रवैये से कांग्रेस का एक धड़ा संतुष्ट नहीं है। भले ही कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व राजद के साथ चुनाव मैदान में जाने की वकालत करे, लेकिन प्रदेश के कुछ नेताओं को इससे एतराज है।

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स्वर समय-समय पर होते रहे बुलंद

पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस के अंदर राजद के समर्थन को लेकर विरोध के स्वर समय-समय पर बुलंद होते रहे हैं, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व तक वे स्वर पहुंच नहीं पाते। प्रदेश कांग्रेस में राजद का विरोध करने वाला एक अलग ही गुट है। यह गुट हाल के दिनों में एक बार फिर सक्रिय नजर आने लगा है। बिहार कांग्रेस के प्रभारी व राज्यसभा के सदस्य शक्ति सिंह गोहिल के सामने भी विरोध की आवाजें बुलंद होती रही हैं। जुलाई और अगस्त के बीच गोहिल ने करीब छह दिन बिहार में बिताए और उन्हें भी दल के अंदर राजद का विरोध करने वाले नेताओं से दो-चार होना पड़ा। फिर भी गोहिल उन्हें सिवाय आश्वासन देने के और कुछ कर नहीं सके।

राजद का रवैया सहयोगियों के प्रति सम्मान का नहीं

राजद का विरोध करने वाले कई कांग्रेसी अमूमन खुलेआम अपनी बात करने से बेहतर प्रदेश नेतृत्व के सामने इस मुद्दे को उठाने में विश्वास करते हैं। पिछले महीने गोहिल जब प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक ले रहे थे उस दौरान भी राजद से सीटों के बंटवारे का मामला उठा था। मामला उठाने वालों नेताओं का कहना था कि राजद का रवैया सहयोगियों के प्रति सम्मान का नहीं। कई ऐसे नेताओं की मांग के बाद गोहिल ने कहा था कि पहले के इतिहास को भूल जाएं। इस बार के विधानसभा चुनाव में वह इतिहास दोहराया नहीं जाएगा। गोहिल के उस आश्वासन के बाद भी विरोध के स्वर धीमे नहीं पड़े हैं। 

दबी जुबान वाले भी अब खुलेआम करने लगे विरोध

कल तक दबी जुबान में जो कुछ नेता राजद का विरोध कर रहे थे वे अब खुलकर सामने आने लगे हैं। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा ने तो बकायदा ट्वीट कर दिया। रविवार को ट़्वीट कर उन्होंने कहा कि पूर्व का अनुभव है कि राजद चुनाव को देख खुद तो पहले से अनुकूल सीटों पर तैयारी कर रहा होता है, लेकिन गठबंधन के दलों के बीच सीटों के आवंटन को लेकर भ्रम की स्थिति बनाए रखता है। राजद के इस रवैये से सहयोगी दलों को चुनाव में काफी नुकसान उठाना होता है। अनिल शर्मा के पहले भी कुछ नेता राजद पर कांग्रेस को परेशान करने और नीचा दिखाने का आरोप लगा चुके हैं। ऐसे नेता लोकसभा के पिछले चुनाव का हवाला देना नहीं भुलते। 

विरोध करने वालों को प्रश्रय मिलने की उम्मीद कम

इस मसले पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा कहते हैं कि कांग्रेस सबको साथ लेकर चलने और सबकी बातों को तवज्जो देने में विश्वास करती है। यदि किसी को राजद के साथ गठबंधन पर एतराज है तो उन्हें अपनी बात आलाकमान तक पहुंचानी चाहिए। उनकी बातों पर पार्टी के प्रमुख नेताओं से आलाकमान द्वारा अवश्य विचार-विमर्श किया जाएगा और उचित निर्णय होगा। इससे पहले भी किसी मसले पर विरोध की समस्या का समाधान ऐसे ही हुआ है। अनिल शर्मा के ट्वीट के संदर्भ में वे कहते हैं कि नहीं देखा कि क्या ट्वीट है। हालांकि राजद विरोध के स्वर अभी और मुखर होंगे, लेकिन आलाकमान ने फैसला कर लिया है कि महागठबंधन के साथ चुनाव मैदान में जाना समय की मांग है। ऐसी स्थिति में राजद का विरोध करने वाले नेताओं को पार्टी में बहुत प्रश्रय मिलेगा, इसकी उम्मीद बहुत कम है। 


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