बिहार के सबसे उम्रदराज स्वतंत्रता सेनानी विंध्येश्वरी मिश्र का निधन, Ex CM राबड़ी देवी ने जताया शोक
पंडित विंध्येश्वरी मिश्र राजद नेता चित्तरंजन गगन के पिता थे। उनकी उम्र 103 साल थी। कल 18 जनवरी को बनारस में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके पिता ने भी स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में अपने प्राणों की आहूति दे दी थी।
पटना, राज्य ब्यूरो । राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन के पिता व बिहार के सबसे उम्रदराज स्वतंत्रता पंडित विंध्येश्वरी प्रसाद मिश्र का 103 वर्ष की उम्र में रविवार को निधन हो गया। उन्होंने अपने पैतृक आवास सतपुरा ( भगवानपुर, वैशाली) पर अंतिम सांसें लीं। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार बनारस में गंगा घाट पर किया जाएगा। वह अपने पीछे दो पुत्र और दो पुत्रियों के साथ भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों को मिलनेवाले लाभ कभी नहीं लिया
राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि आजादी की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। किंतु उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली पेंशन एवं अन्य सुविधाएं नहीं ली। उनके पिता पंडित रामपरीक्षण मिश्र आजादी की लड़ाई में शहीद हो गए थे। पंडित विंध्येश्वरी के निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, अशोक कुमार सिंह, डॉ. तनवीर हसन, आलोक कुमार मेहता समेत राजद के कई नेताओं ने शोक जताया है।
क्षेत्र के विकास में बड़ा योगदान
पंडित विंध्येश्वरी प्रसाद मिश्र अपने क्षेत्र में शिक्षा के विकास को लेकर काफी सक्रिय भूमिका निभाई। इनके पिता का भी जीए हाई स्कूल भगवानपुर की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान रहा। विन्ध्येश्वरी प्रसाद मिश्र ने पाँच एकड़ जमीन देकर अपने माँ और पिता जी के नाम पर श्री रामपरीक्षण चन्द्रज्योति उच्च विद्यालय बेलबर घाट की स्थापना की। यह स्कूल अब इंटरस्तरीय हो गया है। इसके साथ हीं अपने गाँव में दो अन्य मध्य विधालय की स्थापना की। एल एन कॉलेज भगवानपुर को स्थापित करने में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी । वे गरीब बच्चों को हर प्रकार का सहयोग देकर उन्हें प्रोत्साहित करते रहे। आज उनके सहयोग से पढ़े अनेकों छात्र विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं।
इनके न्यायिक निष्पक्षता को देखते हुए वैशाली जिला में गठित लोक अदालत का प्रथम अध्यक्ष बनाया गया था। वे काफी दिनों तक सामाजिक संगठन ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष रहे। वे एक प्रगतिशील किसान भी थे और कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सरकार द्वारा " किसान श्री " सम्मान से सम्मानित किए गए।
उनके निधन की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई। उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी ।