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पटना की सड़कों पर ये 'भगत सिंह आइसक्रीम वाला', लालू-नीतीश से बिहारी बाबू तक हैं मुरीद

रामावतार तिवारी को पीढिय़ों ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह के चोले में ही देखा है। वे आइसक्रीम के साथ भगत सिंह की कहानी सुनाते हैं। उनके मुरीदों में लालू-नीतीश व बिहारी बाबू भी शामिल हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 09:08 PM (IST)Updated: Sun, 12 Aug 2018 10:25 PM (IST)
पटना की सड़कों पर ये 'भगत सिंह आइसक्रीम वाला', लालू-नीतीश से बिहारी बाबू तक हैं मुरीद
पटना की सड़कों पर ये 'भगत सिंह आइसक्रीम वाला', लालू-नीतीश से बिहारी बाबू तक हैं मुरीद

पटना [कुमार रजत]। ये वो चोला है कि जिस पे रंग चढ़े न दूजा, मेरा... रंग दे बसंती चोला...। हो गए सात दशक, बीत गया एक युग, बदल गईं तीन पीढिय़ां, पर नहीं बदला चोला। पटना की सड़कों पर पिछले 64 साल से आइसक्रीम बेचते आ रहे 86 बरस के रामावतार तिवारी को तीन पीढिय़ों ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह के चोले में ही देखा है। इस चोले के अलावा उन पर दूजा कोई रंग कभी न चढ़ सका।

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उन्हें देख भगत सिंह की याद ताजा हो उठती है। खाकी कमीज, खाकी पैंट, भगत सिहं जैसा हैट और उन जैसी ही मूछें। पटना का बच्चा-बच्चा इन्हें 'भगत सिंह आइसक्रीमवाला' के नाम से जानता है। लोग उनके इस रूप को सम्मान भरी नजरों से देखते हैं। पटना में उनकी आइसक्रीम के मुरीदों में लालू प्रसाद यादव से लेकर नीतीश कुमार, सुशील मोदी व बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्‍हा भी शामिल रहे हैं।

आइसक्रीम के साथ सुनाते भगत सिंह की कहानी

रामावतार 86 साल की उम्र में भी पूरी तरह फिट दिखते हैं और रोज सुबह 11 से रात 11 बजे तक पटना की गलियों का चक्कर लगाते रहते हैं। हां, अब रिक्शे की जगह ई-रिक्शे पर आइसक्रीम लेकर चलते हैं। वे बच्चों को आइसक्रीम तो खिलाते ही हैं, शहीद भगत सिंह की कहानी भी सुनाते हैं।

बचपन से मन में बस गई भगत सिंह की छवि

पूछने पर बोले, मेरा जन्म गोरखपुर में 1932 में हुआ। भगत सिंह इससे ठीक एक साल पहले ही (1931) शहीद हुए थे। गुलामी के उस दौर में भगत सिंह युवाओं के बड़े नायक थे। हर जुबां पर उनकी ही चर्चा थी। मेरी परवरिश उसी माहौल में हुई। मन-मंदिर में भगत सिंह की प्रेरक छवि बस गई। जवान हुआ तो उनकी तरह ही रहने लगा। अब तो यह चोला ही मेरी पहचान बन गया है। संतोष होता है, जब बच्चे मुझे देख भगत सिंह के बारे में जानने-समझने को लालायित हो उठते हैं। यही मेरा हासिल है।

इस वेश में रह देते अपनी श्रद्धांजलि

कहते हैं, भगत सिंह देश की आजादी के लिए कुर्बान हो गए। कह गए कि एक भगत सिंह की कुर्बानी से देश पर न्योछावर होने वाले लाखों भगत सिंह पैदा होंगे। इधर अब हम उन्हें शहीद दिवस पर याद कर लेते हैं। मैं चाहता हूं कि सभी लोग हर दिन हर समय भगत सिंह की शहादत को याद रखें। उससे प्रेरणा लें। इसीलिए इस वेशभूषा में रहता हूं। यही मेरी उस महान शहीद को श्रद्धांजलि है।

पूरा कर रहे जीवन का बड़ा मकसद

रामावतार ने अपने ई-रिक्शा पर भगत सिंह की तस्वीर भी लगा रखी है। वे कहते हैं, दादा से लेकर पाेते तक, पटना में सभी मुझे जानते हैं। कोई अचानक मिलता है, तो कहता है, पहचाना अंकल, आप मेरे स्कूल में आइसक्रीम बेचने आते थे...। अच्छा लगता है, जब लोग साथ फोटो लेते हैं। सेल्फी लेते हैं। जब तक जिंदा रहूंगा, भगत सिंह के चोले में ही रहूंगा। आइसक्रीम बेचना मेरी रोजी है, लेकिन इस बहाने लोगों को महान शहीद की याद दिलाकर जीवन में एक बड़ा मकसद पूरा कर रहा हूं।

लालू-नीतीश-मोदी-शत्रुघ्न को भी खिलाई आइसक्रीम

रामवतार तिवारी पटना के चांदमारी रोड में किराए के मकान में रहते हैं। कहते हैं, जिन स्कूलों के बच्चों को मैंने आइसक्रीम खिलाई, उनमें से कई तो अब रिटायर हो गए हैं। तीन-चार पीढिय़ोंं को आइसक्रीम खिलाई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, सांसद व अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, अभिनेता शेखर सुमन भी इस सूची में शामिल हैं।


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