पटना के सहारा वृद्धाश्रम में रहने वाले 47 बुजर्गों का अब एक ही धर्म, एक-दूसरे की तकलीफ को कम करना
Patna News हमारा घर के 47 वृद्ध बने सर्व धर्म एकता की मिसाल समाज कल्याण विभाग के अधीन सहारा आश्रम में हेल्पेज इंडिया कर रही वृद्धों की सेवा योगा खेल मनोरंजन से लेकर सभी धर्म के ग्रंथ का होता है पाठ
पटना सिटी, जागरण संवाददाता। पटना के एक वृद्धाश्रम (Patna Old Age Home) में रहने वाले 47 वृद्ध धार्मिक एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं। यह वृद्धाश्रम बाइपास थाना अंतर्गत महारानी कॉलोनी में ऐतिहासिक कमलदह जैन मंदिर के बिल्कुल पास है। सहारा वृद्धाश्रम (Sahara Vridhashram) में रहने वाले इस आश्रम को अपना घर कहते हैं। किसी बच्चे की तरह इनकी यहां देखभाल की जाती है। खाने-पीने, सोने, जागने, खेल, योगा, मनोरंजन के साथ हर दिन सभी धर्म के ग्रंथ का किया जाने वाला पाठ इन्हें अध्यात्म से जोड़े रखता है। आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ ही इनकी वृद्ध सोच में ताजगी भरता है। शांत मन से यह गुजरे जिंदगी के बुरे अनुभवों को भुलाने की कोशिश करते हैं। राष्ट्रभक्ति के साथ यह प्रेम व भाईचारे का सबक एक-दूसरे तक हंसते-मुकराते पहुंचाते हैं। अपना घर के अंदर इनके बीच इंसानियत का बना रिश्ता एकता की नयी परिभाषा गढ़ रहा है।
समाज कल्याण विभाग के अधीन संचालित है यह वृद्धाश्रम
समाज कल्याण विभाग के अधीन इस वृद्धाश्रम का संचालन हेल्पेज इंडिया द्वारा किया जा रहा है। प्रबंधक डीके सिंह ने बताया कि अपना घर में 47 वृद्ध रह रहे हैं। इनमें 30 महिलाएं और 17 पुरुष हैं। यह सभी 60 से 70 वर्ष की उम्र के बीच हैं। इनके बीच से ही कोई प्रत्येक रविवार को गुरुग्रंथ साहिब, सोमवार को बाइबल, मंगलवार को भागवतगीता और शुक्रवार को कुरानशरीफ का पाठ करता है। सभी ध्यान से सुनते हैं। इस दौरान किसी में कोई भेद नहीं होता है। प्रत्येक गुरुवार को किसी संत, महापुरुष की जीवनी बतायी जाती है। बुधवार को संगीत और हास्य व्यंग्य तथा शनिवार को इंडोर खेल होता है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक गुरुवार को हेल्पेज इंडिया की मोबाइल हेल्थ यूनिट यहां आती है। डॉक्टर सभी के स्वास्थ्य की जांच कर जरूरी दवाइयां देते हैं। बीच में आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर को फोन कर बुलाया जाता है।
यहां रहने वाले 19 लोग मानसिक रूप से बीमार
प्रबंधन का कहना है कि अपना होम में रहने वाले वृद्धों में मानसिक रूप से बीमार 19 महिला-पुरुष हैं। इनकी देखभाल विशेष तरीके से करनी होती है। सामान्य लोगों के बीच इन्हें बेहद सावधानी से रखना होता है। जरा सा ध्यान हटते ही कोई अनहोनी होने का डर बना रहता है। ऐसे लोगों को होम के सेवक खाना खिलाने से लेकर कपड़े पहनाने, नहाने, दिनचर्या से लेकर सभी काम करते हैं। कुछ वृद्ध का कहना है कि अपना घर को मानसिक रूप से बीमार का अस्पताल नहीं बनाया जाना चाहिए। इससे दूसरे परेशान होते हैं। मानसिक शांति छिन जाती है।