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पटना में शहर से गांव तक घट रही बेटियों की तादाद, जिला प्रशासन अब शुरू करेगा विशेष अभियान

नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015-16 प्रदेश के शहरी क्षेत्र में प्रति हजार पुरुष पर 1090 और ग्रामीण क्षेत्रों में 1062 महिलाएं थीं। वहीं चार साल बाद 2019-20 के सर्वे में यह संख्या शहरी क्षेत्र में 982 और ग्रामीण क्षेत्र में 1111 हो गई थी।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 02:41 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 02:41 PM (IST)
पटना में शहर से गांव तक घट रही बेटियों की तादाद, जिला प्रशासन अब शुरू करेगा विशेष अभियान
पटना में अल्‍ट्रासाउंड जांच केंद्रों के खिलाफ बढ़ेगी सख्‍ती। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

जागरण संवाददाता, पटना। बिहार में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या में कमी को स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया है। इसके लिए हर सिविल सर्जन को क्षेत्र में स्थित अल्ट्रासाउंड या सोनाग्राफी सेंटर का नियमित रूप से औचक निरीक्षण कर आनलाइन रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। पीएनडीटी (प्री नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक) एक्ट की समीक्षा को हुई बैठक में ये निर्देश दिए गए। सिविल सर्जन डा. विभा कुमारी सिंह ने बताया कि किसी अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी सेंटर में लिंग जांच नहीं हो, इसके लिए एक धावादल पूर्व से गठित है। कोरोना संक्रमण के कारण बीच में निरीक्षण कार्य बाधित हो गया था। पुन: धावादल को सक्रिय किया जा रहा है। इसके अलावा अब हर जिले को तिमाही के बजाय प्रति माह कितने सेंटर का निरीक्षण किया गया, वहां कैसी व्यवस्था थी आदि पर टिप्पणी के साथ उस दल को अपनी रिपोर्ट आनलाइन अपलोड करनी होगी।

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पांच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में भी घटा लिंगानुपात  

नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015-16 प्रदेश के शहरी क्षेत्र में प्रति हजार पुरुष पर 1090 और ग्रामीण क्षेत्रों में 1062 महिलाएं थीं। वहीं, चार साल बाद 2019-20 के सर्वे में यह संख्या शहरी क्षेत्र में 982 और ग्रामीण क्षेत्र में बढ़कर 1,111 हो गई थी। हालांकि, गत पांच वर्षों में हुए जन्म का लिंगानुपात डराने वाला है। जहां 2015-16 में जहां प्रति हजार लड़कों पर शहरी क्षेत्र में 908 और ग्रामीण क्षेत्र में 934 लड़कियां थीं, यह 2019-20 में शहरी क्षेत्र में बढ़कर 940 और ग्रामीण क्षेत्र में घटकर 903 रह गई है। इसका एक बड़ा कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लिंग जांच सुविधा और गर्भपात की सुलभ उपलब्धता को माना जा रहा है।

सख्त सजा के प्रविधान  

यदि कोई डाक्टर भ्रूण लिंग जांच करते पकड़ा जाता है तो उसे तीन साल कैद व दस हजार रुपये जुर्माने तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा लिंग जांच को बढ़ावा देने वाले को तीन साल कैद व 50 हजार रुपये तक जुर्माना हो सकता है।


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