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अब रीढ़ कमजोर होने की कोई नहीं देगा दुहाई, 3D तकनीक से ऑपरेशन कर डॉक्टरों ने किया कमाल

एम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग ने 60 वर्षीय महिला को थ्री-डी तकनीक से ऑपरेशन कर नई रीढ़ दी। महिला की रीढ़ की हड्डी टूट गई थी और इसकी वजह से पैरों की ताकत चली गई थी। बड़ी बात ये है एक एक इंच का चीरा लगाकर ऑपरेशन किया गया।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 01 Feb 2021 03:37 PM (IST)Updated: Mon, 01 Feb 2021 03:37 PM (IST)
अब रीढ़ कमजोर होने की कोई नहीं देगा दुहाई, 3D तकनीक से ऑपरेशन कर डॉक्टरों ने किया कमाल
एम्स में एक इंज का चीरा लगाकर महिला की रीढ़ की हड्डी का किया गया ऑपरेशन।

नलिनी रंजन, पटना: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के न्यूरो सर्जरी विभाग ने 60 वर्षीय महिला को थ्री-डी तकनीक से ऑपरेशन कर नई 'रीढ़' दी। महिला की रीढ़ की हड्डी टूट गई थी और इसकी वजह से पैरों की ताकत चली गई थी। इसके कारण वह नित्यक्रिया करने में भी असमर्थ थी। जटिल ऑपरेशन अत्याधुनिक तरीके से किया गया। एम्स न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. विकास चंद्र झा के नेतृत्व में न्यूरोनेविगेशन गाइडेड मिनिमल इनवेसीव स्पाइन सर्जरी नामक इस ऑपरेशन में लगभग साढ़े चार घंटा समय लगा। बड़ी बात ये है एक एक इंच का चीरा लगाकर ऑपरेशन किया गया। डॉ. विकास चंद्र झा ने दावा किया है कि थ्री-डी तकनीक, नेवीगेशन एवं मिनीमल इनवेसीव तरीके से प्रदेश में पहली बार यह ऑपरेशन हुआ है। इसके लिए प्रदेश में एकमात्र मशीन एम्स पटना न्यूरो सर्जरी विभाग में उपलब्ध है।

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10-12 सेंटीमीटर का लगाना होता था चीरा

इस ऑपरेशन की खासियत यह थी कि ऑपरेशन के दौरान रीढ़ की हड्डी को थ्री-डी टेक्निक से लगातार मॉनीटर किया जा रहा था। इससे रीढ़ के टूटे हिस्से को सही से जोड़ा जा सके और रीढ़ की हड्डी को एक-दूसरे से इंप्लांट के सहारे जोड़ा जा सके। इस ऑपरेशन में इंप्लांट डालते वक्त यदि एक-दो मीलीमीटर भी आने पर स्पाइनल कोर्ड के पूर्णत: क्षतिग्रस्त होने का चांस भी ज्यादा होते हैं। इस ऑपरेशन को रीढ़ की हड्डी के ऊपर एक सेंटीमीटर के चीरे से अंजाम दिया जाता है, जबकि ओपन सर्जरी में 10-12 सेंटीमीटर का चीरा लगाना पड़ता है। इससे मरीज की रीकवरी में काफी समय लगता है। साथ ही कॉप्लीशन होने की संभावना भी अधिक होती है। 

महज डेढ़ लाख में सर्जरी

एम्स पटना के निदेशक डॉ. पीके सिंह ने सफल ऑपरेशन के लिए न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. विकास चंद्र झा व उनकी टीम को बधाई दी है। बताया जाता है कि निजी अस्पतालों में यह दिल्ली-मुंबई में यह ऑपरेशन पांच-सात लाख रुपये में होते है, जबकि एम्स पटना में इसमें महज डेढ़ लाख रुपये खर्च आया। इस ऑपरेशन टीम में विभागाध्यक्ष डॉ. विकास चंद्र झा के अतिरिक्त डॉ. नीरज झा, डॉ. सुधांशु एवं सनेस्थिसिया विभाग के डॉ. अजीत शामिल रहे।


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