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अब आपकी कड़ाही के बचे तेल से नहीं बनेंगी पूड़ियां, 'उसी तेल से फर्राटा भरेंगी गाडिय़ां'

अब आपके किचेन में कड़ाड़ी के बचे तेल से गाड़ियां फर्राटा भरेंगी। इससे प्रदूषण पर नियंत्रण भी होगा साथ ही जले तेल से स्वास्थ्य को होने वाला नुकसान भी नहीं होगा। जानिए पूरी स्टोरी...

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 12:50 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 11:40 PM (IST)
अब आपकी कड़ाही के बचे तेल से नहीं बनेंगी पूड़ियां, 'उसी तेल से फर्राटा भरेंगी गाडिय़ां'
अब आपकी कड़ाही के बचे तेल से नहीं बनेंगी पूड़ियां, 'उसी तेल से फर्राटा भरेंगी गाडिय़ां'

पटना [श्रवण कुमार]। बदलते परिवेश में प्रदूषण और स्वास्थ्य को लेकर कॉरपोरेट सेक्टर भी अपने सामाजिक दायित्वों को लेकर सजग है। इस दिशा में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभा रहा है। प्रदूषण पर नियंत्रण के प्रयास के तहत स्ट्रीट वेंडरों को मुफ्त में एलपीजी देने का अभियान प्रारंभ हो चुका है। वहीं अब सड़कों के किनारे चिप्स, समोसा, पकौड़ी, आलू और सत्तू के पराठे, फ्रेंच फ्राई, लिट्टी, कचरी जैसे खाद्य पदार्थ बेचने वाले दुकानदारों की कड़ाही पर भी नजर रखी जाने लगी है। 

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एक ही वनस्पति तेल में कई बार इन पदार्थों को छानने वाले दुकानदारों को जागरूक करने का अभियान भी शीघ्र शुरू होने वाला है। उन्हें बताया जाएगा कि वनस्पति तेल का तीन बार से अधिक प्रयोग सेहत के लिए हानिकारक है।

इतना ही नहीं, प्रयुक्त तेल को खरीदकर उसका उपयोग बायो-डीजल बनाने की योजना है। यह पहल इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आइओसी) की ओर से की जा रही है। आइओसी पटना के साथ ही देश के सौ प्रमुख शहरों में प्रयुक्त तेल का संग्रहण कर बायो-डीजल बनाने की तैयारी कर रहा है। 

टीपीसी सीमा 25 फीसद से अधिक वाले वनस्पति तेल हैं हानिकारक : फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) ने सुरक्षित खाद्य तेल के व्यापक स्तर पर जो मानक तय किए हैं, उसके अनुसार टोटल पोलर कंपाउंड (टीपीसी) 25 फीसद से आगे रहने वाले तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

तेल के बार-बार गर्म होने से भौतिक- रासायनिक, पोषण और संवेदी गुणों में परिवर्तन होता है। तलने के दौरान टीपीसी बनते हैं, जिसके विषाक्त होने से ब्लड प्रेशर, अल्जाइमर, एसिडिटी जैसी कई बीमारियां होती हैं। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार एक लीटर तेल मिलने से दस लाख लीटर जल दूषित होता है। 

इस्तेमाल तेल का नए साल से होगा संग्रह

हानि के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने के बाद आइओसी प्रयुक्त तेल के इस्तेमाल पर रोक के लिए भी अभियान चलाएगा। नए साल से स्ट्रीट वेंडरों और घरों से इस्तेमाल हुए तेल का संग्रह कर उसे रासायनिक प्रक्रिया के बाद बायो-डीजल बनाएगा। 

तेल के आयात में भी आएगी कमी 

आइओसी के कॉरपोरेट संचार व योजना एवं समन्वय विभाग की मुख्य प्रबंधक वीणा कुमारी ने बताया कि जागरुकता के बाद नए साल से इस्तेमाल किए गए खाद्य तेल का प्रयोग रोकने की कवायद होगी। आइओसी इसका संग्रहण कर बायो-डीजल बनाएगा। लक्ष्य है कि आठ साल में यूज्ड ऑयल से इतना बायो-डीजल बना लिया जाए कि बाहर से आयात किए जाने वाले तेल में कम से कम दस फीसद की कमी हो जाए। 


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