बिहार में मुखिया के खिलाफ अब एक ही बार अविश्वास प्रस्ताव
मुखिया सहित पंचायती राज संस्थाओं एवं ग्राम कचहरी के प्रधानों एवं उप-प्रधानों के खिलाफ उनके पूरे कार्यकाल में पहले दो वर्ष की अवधि के पश्चात अब एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा।
पटना। मुखिया सहित पंचायती राज संस्थाओं एवं ग्राम कचहरी के प्रधानों एवं उप-प्रधानों के खिलाफ उनके पूरे कार्यकाल में पहले दो वर्ष की अवधि के पश्चात अब एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। साथ ही किसी योजना के बनाने से पहले वार्ड सभा की मंजूरी भी लेनी होगी।
ग्राम पंचायतों में पंचायत सचिवों के अतिरिक्त अन्य कर्मियों की भी नियुक्ति होगी। राज्य सरकार ने इन नए प्रावधानों के लिए बुधवार को विधानसभा में बिहार पंचायत राज (संशोधन) विधेयक-2015 पेश किया, जिसे विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच मंजूरी प्रदान कर दी गई। विश्वविद्यालयों से संबंधित दो अन्य विधेयकों को भी स्वीकृति मिल गई।
दूसरी पाली में सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव ने आसन से पूछा कि दवा घोटाले की सीबीआइ जांच के संबंध में प्रथम पाली में विपक्ष द्वारा लाए गए कार्यस्थगन प्रस्ताव का क्या हुआ? जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जब कार्यस्थगन प्रस्ताव पर नियमन देने का समय था तब तो हंगामा कर सदन की कार्यवाही स्थगित करा दी, अब इस पर सवाल करने का क्या औचित्य है? विधानसभा अध्यक्ष ने नियमन देने के बजाय तय कार्यवाही जारी रखी, जिस पर भाजपा के सभी सदस्य और जदयू के बागी विधायक वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। इस हंगामे के बीच तीन विधेयक पारित किए गए।
पंचायती राज मंत्री विनोद प्रसाद यादव द्वारा पेश बिहार पंचायती राज (संशोधन) विधेयक में कहा गया है पंचायती राज संस्थाओं एवं ग्राम कचहरी के प्रधानों-उप प्रधानों के विरुद्ध प्रथम दो वर्ष के पश्चात अविश्वास प्रस्ताव लाने एवं इसके नामंजूर हो जाने पर एक वर्ष बाद पुन: अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान है। ऐसी स्थिति से ये संस्थाएं कमजोर होती हैं, इसलिए मौजूदा एक्ट में संशोधन कर केवल एक ही बार अविश्वास प्रस्ताव का प्रावधान किया जा रहा है।
ग्राम पंचायत के प्रत्येक वार्ड के स्तर पर वार्ड सभा के गठन का भी प्रावधान किया जा रहा है। संबंधित वार्ड के चुने हुए प्रतिनिधि अपने-अपने वार्ड की वार्ड सभा के अध्यक्ष होंगे। यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि पंचायत समिति, जिला परिषद के प्रमुख-उप प्रमुख तथा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के पद किसी कारण से खाली रहते हैं और उनके लिए चुनाव भी नहीं हुआ है तो ऐसी स्थिति में उम्र में वरिष्ठतम सदस्य को रिक्त पद का प्रभार सौंपा जाएगा। पंचायत चुनाव में उम्मीदवार बनने के लिए अपने परिवार में 31 जनवरी, 2016 तक एक शौचालय अनिवार्य रूप से बना लेने का भी प्रावधान किया गया है।
वित्त रहित कॉलेजों में बनेगी चयन समिति
शिक्षा मंत्री पीके शाही ने सदन में बिहार राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2015 पेश किया, जिसे मंजूरी दे दी गई। ऐसा देखा गया है कि सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों में लंबी अवधि से कार्यरत अनेक शिक्षकों की नियुक्ति शासी निकाय द्वारा की गई थी। कुछ कारणों से उक्त कोटि के शिक्षकों के मामले में तत्कालीन बिहार कॉलेज सेवा आयोग की अनुशंसा प्राप्त नहीं की गई थी।
इन कारणों से सरकार द्वारा स्वीकृत अनुदान राशि के वितरण में कठिनाई हो रही है। वर्तमान में कॉलेज सेवा आयोग अस्तित्व में नहीं है। इन शिक्षकों की नियुक्ति के महाविद्यालय स्तर पर अनुशंसा देने के लिए चयन समिति के गठन का प्रावधान किया गया है।
शाही ने इसके अलावा आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2015 भी पेश किया। अब पैनल के मार्फत आर्यभट्टï विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति होगी। पैनल में तीन-पांच व्यक्तियों का नाम रहेगा। यह पैनल राज्य सरकार द्वारा गठित समिति तैयार करेगी, कुलाधिपति उसी आधार पर कुलपति की नियुक्ति करेंगे।