अब गढ़ी जाएंगी कुछ नई कहानियां
चेहरे सारे खिले हुए हैं।
पटना। चेहरे सारे खिले हुए हैं। हाथों में डिग्री लिए इन नौजवानों को देश उम्मीद की नजरों से देख रहा है। ये वे आइआइटियंस हैं जो अपने जीवन के चार महत्वूपर्ण साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद चुनौतियों और अवसर से भरी दुनिया में प्रवेश करने को बेताब हैं। इनके बदन पर आज वेस्टर्न ड्रेस कोड नहीं, शुद्ध भारतीय परिधान हैं। पायजामा-कुर्ता और कंधे पर सजा अंगरखा या फिर सलवार कुर्ता और साड़ी। ये शानदार नजारा है बिहटा स्थित आइआइटी पटना के कैंपस का। शनिवार को इस कैंपस में देश के कई विद्वान, छात्र-छात्राएं दीक्षा समारोह का हिस्सा बनने के लिए इकट्ठा हुए हैं।
500 एकड़ में फैले आइआइटी कैंपस के प्रवेश द्वार से थोड़ा हटकर मुख्य भवन के सामने खुले मैदान में सजे पंडाल में करीने से सजी कुर्सियों पर बैठे छात्र-छात्राएं (आइआइटियंस) बस अपने नाम की उद्घोषणा के इंतजार में हैं। बगल में सजाई गई कुर्सियों पर कुछ छात्रा-छात्राओं के अभिभावक हैं तो कुछ शहर की प्रतिष्ठित हस्तियां। इन यंग आआइटियंस के चेहरे पर कैमरों के चमकते फ्लैश तस्दीक कर रहे हैं कि जो सपना आंखों में लेकर देश के कोने-कोने से यह नौजवान पटना आइआइटी तक आए उनका वह सपना आज पूरा हो गया है। कल से ये तमाम उर्जावान, प्रतिभावान वैज्ञानिक, इंजीनियर देश की प्रगति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर तरक्की और बेहतर भविष्य की नई कहानियां गढ़ेंगे।
आखिर इंतजार के लम्हे खत्म हो गए। आइआइटी पटना के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के अध्यक्ष, सदस्य और फैकल्टी 'कंवोकेशन ड्रेस' में शैक्षणिक मार्च करते हुए मंच तक आए और इसके साथ ही समारोह का आगाज हो गया।