अब सुधा दूध की तरह सब्जियों की मार्केटिंग, जानिए किसे होगा फायदा
बिहार में अब सुधा दूध की तर्ज पर सब्जियों की मार्केटिंग होगी। गांव-गांव सब्जी उत्पादकों का समूह बनेगा। उचित मूल्य पर उपभोक्ताओं को ताजी सब्जियां मिलेगी।
पटना [जेएनएन]। सुधा दूध की तर्ज पर गांव-गांव में समितियां गठित कर सूबे में सब्जियों की मार्केटिंग होगी। मुख्यमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना को धरातल पर उतारने के लिए 30 सदस्यीय दल दिल्ली के मदर डेयरी में सब्जी की मार्केटिंग के लिए प्रशिक्षण ले रहा है। प्रशिक्षण दल का नेतृत्व सब्जी अधिप्राप्ति प्रमुख अभय झा और नोडल पदाधिकारी संजय कुमार कर रहे हैं। सुधा की तरह सब्जियों का एक ब्रांड तय होगा और वह रिटेल काउंटरों पर मिलेगी।
पांच जिलों का चयन
प्रथम चरण में राज्य के पांच जिलों पटना, नालंदा, बेगूसराय, वैशाली एवं समस्तीपुर के सभी 97 प्रखंडों में 83 प्रखंडों में प्रखंड स्तरीय समितियां गठित हो गई हैं। ये समितियां गांव-गांव जाकर सब्जियां इकट्ठा करेंगी। इन सब्जियों को कोल्ड स्टोरेज में रखा जाएगा। इन्हें कोल्ड स्टोरेज तक पहुंचाने के लिए वातानुकूलित वाहनों को उपयोग में लाया जाएगा। समितियों के सदस्यों को सब्जियों को कैसे इकट्ठा करना है और इन्हें कोल्ड स्टोरेज तक कैसे पहुंचाना है, इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रखंड, क्षेत्रीय व राज्यस्तरीय समितियां
सब्जियों की मार्केटिंग के लिए बनी समितियां तीन स्तरीय होंगी। पहली प्रखंड स्तर पर प्राथमिक सब्जी उत्पादक सहकारी समिति, दूसरी कई जिलों को मिलाकर क्षेत्रीय स्तर की समिति तथा तीसरी राज्य स्तर पर पटना में सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन सहकारी फेडरेशन होगी।
किसानों को मिलेगी आर्थिक मदद
सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने से किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा तथा उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर सब्जियां मिलेंगी। बिहार में सब्जी के लिए सरकारी स्तर पर कोई बाजार नहीं है। इस कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता। किसान आलू और प्याज सस्ते दर पर बिक्री कर देते हैं। देश का 16 फीसद आलू बिहार में पैदा होता है। इसके बावजूद यहां के लोगों को महंगा आलू मिलता है। सब्जियों का मूल्य भी यह समितियां ही नियंत्रित करेंगी।