अब शिक्षा सेवक नाम से जाने जाएंगे टोला सेवक
राज्य सरकार ने अक्षर आंचल योजना के बेहतर संचालन के लिए नियोजित टोला सेवक और तालीमी मरकज के पदनाम बदल दिए हैं।
पटना । राज्य सरकार ने अक्षर आंचल योजना के बेहतर संचालन के लिए नियोजित टोला सेवक और तालीमी मरकज के पदनाम बदल दिए हैं। टोला सेवक और तलीमी मरकज अब शिक्षा सेवक के नाम से जाने जाएंगे। इतना ही नहीं शिक्षा सेवकों को अब मनमाने तरीके से नहीं बल्कि प्रत्येक दिन आठ घंटे की सेवा भी देनी होगी। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सभी टोला सेवकों को अब शिक्षा सेवक और तालीमी मरकज को शिक्षा सेवक (तालीमी मरकज) के नाम से जाना जाएगा। इनकी कार्यावधि प्रत्येक दिन आठ बजे से शाम चार बजे की होगी। यदि सेवाकाल में इनकी मृत्यु होती है तो इनके परिजन को चार लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। अनुदान की व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है। अनुदान की स्वीकृति अब जिला स्तर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा ही दी जा सकेगी। इस राशि का भुगतान महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के खाते में उपलब्ध राशि से किया जाएगा। बाद में मुख्यालय के स्तर पर इसकी प्रतिपूर्ति हो जाएगी। शिक्षा सेवक पहले 15 से 35 वर्ग की निरक्षर महिलाओं को साक्षर बनाते थे अब इस आयु सीमा को बढ़ाते हुए 15 से 45 वर्ष कर दिया गया है।
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बॉक्स के लिए :
समय पर मिलेगा मानदेय
अक्षर आंचल योजना के परिणाम सही मिलें इसके लिए शिक्षा सेवकों को अब हर हाल में महीने की दस तारीख तक मानदेय का भुगतान हो जाएगा। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। महाजन ने जिलों के शिक्षा एवं कार्यक्रम पदाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि की-रिसोर्स पर्सन महीने की पांच तारीख तक हर हाल में इनकी उपस्थिति का रिकॉर्ड शिक्षा पदाधिकारी को मुहैया करा देंगे। बैंक को सात से आठ तारीख के बीच एडवाइज भेजी जाएगी। भुगतान हर हाल में महीने की दस तारीख तक होगा। यदि इस कार्य में लापरवाही होगी तो जिम्मेदार पदाधिकारी पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।