अब 'हुनर के हथियार' से नक्सलवाद को मात देगा CRPF, सिलाई से कंप्यूटर तक की मिलेगी ट्रेनिंग
अत्याधुनिक हथियार से भाकपा माओवादी नक्सलियों से लड़ रहा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) अब हुनर के हथियार से नक्सलवाद को समाप्त कर परिवर्तन लाएगी।
औरंगाबाद, जेएनएन। अत्याधुनिक हथियार से भाकपा माओवादी नक्सलियों से लड़ रहा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) अब हुनर के हथियार से नक्सलवाद को समाप्त कर परिवर्तन लाएगा। इसके तहत सीआरपीएफ नक्सली इलाके की महिलाओं व युवतियों को सिलाई का प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षित कर रहा है। युवाओं को कंप्यूटर, कारपेंटर, ऑटोमोबाइल व चालक का प्रशिक्षण देकर रोजगारन्मुखी बनाया जा रहा है। सुरक्षाबल की योजना है कि जब नक्सल इलाके की महिलाएं और युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार से जुड़ेंगे तो नक्सली नहीं बनेंगे।
कार्ययोजना के तहत मदनपुर सीआरपीएफ कैंप में शुक्रवार को सिलाई प्रशिक्षण केंद्र का शुभारंभ किया गया है। शनिवार को अपने जीवन में बदलाव की ललक लिए इस केंद्र में नक्सल इलाके की दर्जनों महिलाएं एवं युवतियां सिलाई सीखने पहुंचीं। अतिनक्सल प्रभावित पीतंबरा गांव से पहुंची इंटर की छात्रा और सगी बहनें रीना कुमारी व मीना कुमारी ने बताया कि सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोगार से जुड़ेंगे। चिलमी गांव से पहुंची संजू कुमारी ने बताया कि नक्सलियों ने उसके पिता अवधेश सिंह भोक्ता की पुलिस मुखबिरी के आरोप में वर्ष 2016 में हत्या कर दी थी। अब सिलाई का प्रशिक्षण लेकर अपना स्वरोजगार करेंगे।
बादम गांव से पहुंची सुमांती कुमारी, पिछुलिया गांव निवासी भागमांति कुमारी व बल्हमाबार गांव की प्रियंका देवी ने बताया कि सभी गरीबी में जी रहे हैं। इतना पैसा और सुविधा नहीं है कि निजी प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण ले सकते हैं। सीआरपीएफ कैंप में निशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर टेलरिंग का काम शुरू कर पाएंगे ।
कमांडेंट एसके चौधरी ने बताया कि नक्सलियों के स्वजनों को भी प्रशिक्षण का लाभ दिया जा रहा है, ताकि वह भी मुख्यधारा से जुड़कर रोजी-रोटी बेहतर ढंग से चला सकें। देव के नक्सल इलाके की महिलाएं और युवतियों के लिए देव सीआरपीएफ कैंप व विश्रामपुर गांव के कैंप में सिलाई प्रशिक्षण केंद्र एक-दो दिनों में शुरू किया जाएगा। पिछले वर्ष भी नक्सल इलाके के युवक-युवतियों को प्रशिक्षित किया गया था।
सीआरपीएफ के आइजी राजकुमार का कहना है कि नक्सलवाद को समाप्त करने और उस इलाके के भटके युवकों को मुख्यधारा में शामिल करने को लेकर कार्ययोजना बनी है। जब महिलाएं और युवक रोजगार करने लगेंगे तो नक्सलवाद का खात्मा तय है।