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अब BAU करेगा आरा के कृषि विज्ञान केंद्र का संचालन, रिसर्च और नई तकनीकी पहुंचेगी किसानों तक

अब बिहार कृषि विश्वविद्यालय करेगा आरा कृषि विज्ञान केंद्र का संचालन। अब तक स्काडा से जुड़ा था कृषि विज्ञान केंद्र। विश्‍वविद्यालय की विकसित तकनीक अब गांवों तक पहुंचेगी। कृषि मंत्री ने कहा कि अब तक यह केंद्र किसी रिसर्च संस्‍थान से नहीं जुड़ा था।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 07:26 AM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 07:26 AM (IST)
अब BAU करेगा आरा के कृषि विज्ञान केंद्र का संचालन, रिसर्च और नई तकनीकी पहुंचेगी किसानों तक
बिहार कृषि विवि करेगा आरा के कृषि विज्ञान केंद्र का संचालन। फाइल फोटो

नीरज कुमार, पटना। आरा कृषि विज्ञान केंद्र का संचालन अब बिहार कृषि विश्वविद्यालय (Bihar Agricultural University) करेगा। कृषि विभाग ने इसकी स्वीकृति प्रदान कर दी है। अब तक आरा कृषि विज्ञान केंद्र का संचालन सोन कमांड एरिया डेवलपमेंट एजेंसी (स्काडा) की ओर से संचालित किया जा रहा था। लेकिन अब नई व्‍यवस्‍था हो गई है। 

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विवि में होने वाले रिसर्च का होगा फायदा 

कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों का मुख्य उद्देश्य है कि नई कृषि तकनीक को किसानों तक पहुंचाना, लेकिन आरा कृषि विज्ञान केंद्र किसी रिसर्च संस्थान से नहीं जुड़ा था। ऐसे में अब कृषि विभाग ने उसे बिहार कृषि विश्‍वविद्याालय से जोड़ दिया है। विश्‍वविद्यालय में जो रिसर्च होगा, उसे कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया जाएगा। आरा कृषि विज्ञान केंद्र के माध्‍यम से अब बिहार कृषि विवि की विकसित तकनीक को किसानों तक पहुंचाएगा। आरा को राज्य का धान का कटोरा कहा जाता है। उस इलाके में सोन नदी से सिंचाई की व्यवस्था अंग्रेजों के समय ही की गई थी।  

डुमरांव कालेज को मिली बागवानी के लिए जमीन 

कृषि विभाग ने डुमरांव स्थित वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय को बागवानी के लिए जमीन आवंटित कर दी है। कालेज  की ओर से वहां पर बागवानी के लिए जमीन कम होने की शिकायत बार-बार की जा रही थी। शिकायत दूर करते हुए कृषि विभाग ने 2.5 एकड़ जमीन आवंटित की है। 

अब किसानों को बागवानी के लिए नए-नए पौधे मिलेंगे 

बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डा. आरके सोहाने ने कहा कि कालेज को बागवानी के लिए जमीन मिलने पर अब किसानों को बागवानी के लिए नए-नए पौधे मिलेंगे। अब तक उस इलाके के किसानों को आम, अमरूद, नींबू आदि पौधे के लिए पटना के मीठापुर कृषि फार्म जाना पड़ता था। लेकिन अब ऐसा करने की जरूरत नहीं है। इससे छात्रों की पढ़ाई का मौका मिलेगा। वहीं, स्थानीय किसानों को इससे बागवानी के पौधे से आसानी से मिल जाएंगे। 


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