Ground Zero Report : जमीन पर स्कूल नहीं, बोर्ड की परीक्षा देते 12वीं के छात्र
बिहार में कई स्कूल केवल कागजों पर चल रहे हैं। कई केवल 12वीं की परीक्षा में शामिल कराने के माध्यम भर हैं। हमने अपनी पड़ताल में ऐसे ही कुछ स्कूलों का पता किया। जानिए...
By Amit AlokEdited By: Published: Sat, 30 Jul 2016 07:32 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jul 2016 09:24 PM (IST)
पटना [अमित आलोक]। बिहार बोर्ड के रिजल्ट घोटाले के सूत्रधारों में एक रहे बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन ललकेश्वर प्रसाद सिंह ने अपने दो साल के कार्यकाल में 196 ऐसे स्कूलों को मान्यता दी जो कि 12वीं के कोर्स संचालित करते हैं। इनमें अधिकांश में सुविधाओं का घोर अभाव है। कुछ तो हकीकत में हैं ही नहीं। आंकड़े बताते हैं कि खाली जमीनों पर ऐसे स्कूल चल रहे हैं, जिनको सरकार से मान्यता लिए तीन साल बीत चुके हैं।
हमारी पड़ताल में ऐसे कई स्कूल सामने आए हैं, जो सिर्फ कागजों पर चल रहे हैं। वास्तविकता में उन स्कूलों का अस्तित्व है ही नहीं। आश्चर्य तो यह है कि इन स्कूलों से बड़ी संख्या में छात्र 12वीं की परीक्षा में शामिल हो रहे हैं। इस बाबत पूछने पर शिक्षा मंत्री डाॅ. अशोक चौधरी ने कागजी स्कूलों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
ग्राउंड जीरो से जानिए बिहार के कुछ ऐसे स्कूलों के हाल...
कागजों पर 844, पढऩे आते दो
मुजफ्फरपुर के पनापुर के एक स्कूल में जाने पर पता लगा कि वहां 844 बच्चों के नाम दर्ज थे, जिनमें से 384 आर्ट्स, 310 साइंस और 150 कॉमर्स के थे। लेकिन, वहां सिर्फ दो लड़कियां ही मिलीं।
स्कूल में क्लास रूम ही नहीं
मुजफ्फरपुर के ही एक अन्य स्कूल में जाने पर पता लगा कि वहां पर जरूरी सुविधाएं मौजूद नहीं हैं। उस पूरे स्कूल में सिर्फ एक ही ब्लैक बोर्ड था। मुजफ्फरनगर से 15 किलोमीटर दूर मौजूद एक स्कूल में तो कोई क्लास ही नहीं थी। यह स्कूल एक जदयू नेता का है।
भवन बना नहीं, 50 ने दी 12वीं की परीक्षा
सारण के गरखा स्थित पंचभिंडी में बिंदा धरोहर उच्च माध्यमिक विद्यालय है। इसके संचालक हैं उपेंद्र राय। बिहार बोर्ड के रिकार्ड में 12वीं तक चलने वाले इस स्कूल को कॉमर्स, साइंस, और आर्ट्स में 120 बच्चों को पढ़ाने की मान्यता दी गई है। इसे मान्यता मिले तीसरा साल है।
गांव के हरेश्वर मांझी कहते हैं कि स्कूल का उद्घाटन तीन साल पहले हो चुका है, लेकिन अब तक वहां स्कूल नहीं बना। पूछने पर संचालक का कहना है कि 'प्रक्रिया जारी है।' संचालक के अनुसार फिलहाल स्कूल टीन शेड वाले 12 कमरों में चल रहा है। इस साल यहां के 50 बच्चों ने 12वीं की परीक्षा भी दी थी।
मान्यता मिली, कक्षाएं नहीं चल रहीं
सारण के जलालपुर स्थित उषा अरविंद माध्यमिक साह उच्च माध्यमिक विद्यालय के संचालक अरविंद सिंह हैं। स्कूल की दोमंजिला इमारत के प्रवेश पर ही एक सैलून और हार्डवेयर स्टोर है। पहली मंजिल पर आठ कमरे हैं जहां फर्नीचर नहीं है। संचालक कहते हैं कि उन्हें स्कूल कोड नहीं मिला है, हालांकि मान्यता मिल चुकी है। मालिक के मुताबिक ट्रस्ट द्वारा चल रहे इस स्कूल में कक्षाएं नहीं चल रही हैं।
छात्र व शिक्षक नहीं, 115 ने दे दी परीक्षा
सारण के चन्द्र च्योति उच्च माध्यमिक विद्यालय (सुतिहार) में टॉयलेट और पानी के नाम पर कुछ नहीं है। बिना प्लास्टर की दीवारें हैं। कुछ टेबल-कुर्सियां हैं, लेकिन इस स्कूल में छात्र और टीचर नहीं हैं। स्कूल के प्रिंसिपल और संचालक आरएस सिंह का दावा है कि 2014 में वहां के 115 छात्रों ने 12वीं पास की। 2015-17 में 80 छात्र पंजीकृत हैं।
खोजने पर भी नहीं मिले ये स्कूल
बिहार के सारन में दो स्कूल कागजों पर तो मौजूद हैं, लेकिन जमीनी हकीकत में खोजने पर इनका कोइ अस्तित्व ही नहीं मिला। आशा सिन्हा मेमोरियल उच्च माध्यमिक विद्यालय (दरियापुर, सोनपुर) और रविंद्र मीना उच्च माध्यमिक विद्यालय (बसंतपुर) खोजने पर नहीं मिले।
बिहारशरीफ के केएमडी स्कूल और दिलीप महतो बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, हसनपुर कागजों पर तो हैं, लेकिन पड़ताल में ये नहीं मिले। वहीं रामविलास सकला देवी उच्च माध्यमिक विद्यालय (सवारी, जबलपुर) में कोई छात्र नहीं है हालांकि यहां एक शिक्षक है। इसके अलावा नालंदा के सुभाष सेकेंड्री स्कूल, मोरा तालाब (बिहारशरीफ) में छात्र छुट्टी पर हैं।
स्कूल बना गोदाम, बरामदे पर ऑटो स्टैंड
सिवान में चार कमरों के एक ढांचे के बाहर स्कूल का बोर्ड लगा है। इस भवन का इस्तेमाल गोदाम की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। स्कूल को 2014-16 के लिए मान्यता दी गई थी। बोर्ड पर तीन नंबर लिखे मिल। पहले नंबर पर संपर्क करने पर एक व्यक्ति ने स्कूल से किसी प्रकार का संपर्क होने से इंकार किया तो दूसरा नंबर स्विच ऑफ मिला। तीसरे नंबर पर भी कोई जवाब नहीं मिल सका।
स्थानीय लोग कहते हैं कि यहां दो कमरे छात्रों को पढ़ाने के लिए बनाए गए हैं, जो बिना-टेबल कुर्सी के हैं। तीसरा कमरा प्रिंसिपल और चौथा कमरा स्टाफ के लिए बनाया गया है। ये खुले में बना एक ढांचा भर है। एक बरामदा है जिसे ऑटो रिक्शा वाले इस्तेमाल कर रहे हैं।
बात करने से ही किया इंकार
वैशाली के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जिसे एक व्यापारी द्वारा चलाया जाता है, पर पहुंचने पर एक महिला ने दरवाजा बंद करते हुए कहा कि उसकी बेटी और पति घर पर नहीं हैं।
शिक्षा मंत्री ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने कहा कि कागजों पर चलने वाले स्कूलों व इंटर कॉलेजों की मान्यता रद की जाएगी। उन्होंने बताया कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को ऐसे स्कूलों की बाबत 15 दिनों में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।
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