एमसीआइ के मापदंड पर विकसित होगा एनएमसीएच
नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का विकास अब तय मानदंडों के अनुसार होगा।
पटना सिटी । नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का औचक निरीक्षण करने के दौरान मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया हर बार यहां की कमियां गिना कर चली जाती है। नतीजा यह है कि एमबीबीएस एवं पीजी की सीटें बढ़ाने एवं मान्यता बरकार रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग से लेकर कॉलेज प्रशासन तक को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। अब ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए राज्य सरकार ने ठोस रणनीति तैयार की है। इसी के तहत मंगलवार को दूसरे दिन भी तीन सदस्यीय चिकित्सकों के दल ने कॉलेज एवं अस्पताल का निरीक्षण किया। विभागीय निर्देशानुसार यहां की कमियों को सूचीबद्ध किया गया। सुधार के तमाम उपायों पर चर्चा हुई।
नालंदा मेडिकल कॉलेज में सभी विभागाध्यक्षों एवं विभाग के एसोसिएट तथा असिस्टेंट प्रोफेसरों के साथ निरीक्षण दल ने कार्यशाला आयोजित की। प्राचार्य डॉ. सीताराम प्रसाद, अधीक्षक डॉ. चंद्रशेखर, उपाधीक्षक डॉ. गोपाल कृष्ण की मौजूदगी में दल ने पावर प्वाइंट के माध्यम से एमसीआर के मापदंड पर कॉलेज एवं अस्पताल को विकसित करने की योजना साझा की। टीम में पीएमसीएच में मनोरोग विभाग के एचओडी प्रो. डॉ. पीके सिन्हा, एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष डॉ. मुद्रिका प्रसाद सुधांशु एवं गुजरात मेडिकल कॉलेज के डॉ. राजेश मेहता शामिल थे।
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: दस साल आगे के विजन पर कार्रवाई शुरू :
निरीक्षण दल ने एनएमसीएच के चिकित्सकों एवं पीजी डॉक्टरों के साथ कॉलेज एवं अस्पताल के विकास पर आधारित दस साल आगे के तैयार विजन को साझा किया। विभाग को तकनीकी रूप से सक्षम और कार्य व्यवस्था को चुस्त रखने का दायित्व एचओडी को सौंपा गया। इमरजेंसी, आइसीयू, नीकू की चिकित्सीय व्यवस्था और सेवा को बेहतर बनाने, ओपीडी व वार्ड में भर्ती मरीजों का रिकॉर्ड रखने, डिस्चार्ज होने वाले मरीजों का फॉलोअप करने, एनएमसी में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई सुनिश्चित कराने, ओटी की कमियों को दूर करने, इलाज कराने आने वाले मरीजों को अन्य बीमारियों के बारे में जागरूक करने, तकनीकी व्यवस्था को सक्षम बनाने समेत कई अन्य मामलों पर कार्यशाला में विस्तार से चर्चा हुई। डॉक्टरों, नर्सों एवं कर्मियों की भूमिका सुनिश्चित की गई।
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: सेंटर ऑफ एक्सीलेंस परिसर में बनेगा कॉलेज भवन :
दिनभर की गहमागहमी के बाद शाम में निरीक्षण दल ने प्राचार्य व अधीक्षक के साथ बैठक कर सामने आई कमियों पर विस्तार से चर्चा की। सरकारी एवं विभाग को रिपोर्ट सौंपने के लिए कमियों की प्राथमिकता तय की। नालंदा मेडिकल कॉलेज से अस्पताल की दूरी करीब तीन किलोमीटर होने से उत्पन्न समस्याओं को देखते हुए कॉलेज भवन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस परिसर में जल्द बनाए जाने पर सहमति बनी। डॉक्टरों के रिक्त पदों को भरने तथा कार्यरत चिकित्सकों को प्रमोशन दिन जाने पर बातचीत हुई। नर्स व कर्मियों की बहाली को भी जरूरी बताया गया।