RAIL BUDGET पर बोले नीतीश : 'प्रभु' को विजन की कमी, मुसाफिरों से भद्दा मजाक
रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा गुरुवार को पेश किए गए रेल बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो टूक अंदाज में कहा कि रेल बजट में कोई नजरिया नहीं है, सिर्फ रेल पर बातचीत है। ऐसा लगता है औपचारिकता निभाई गयी है।
पटना। रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा गुरुवार को पेश किए गए रेल बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो टूक अंदाज में कहा कि रेल बजट में कोई नजरिया नहीं है, सिर्फ रेल पर बातचीत है। ऐसा लगता है औपचारिकता निभाई गयी है। रेलवे के दृष्टिकोण से कुछ भी नहीं दिख रहा है।
सुर्खियों के लिए यह बात कही जा रही कि किराया नहीं बढ़ा। इस बार तो यात्री किराया व माल भाड़ा घटना चाहिए था, क्योंकि पूरी दुनिया के बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट आयी है। रेलवे तो डीजल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा परिसर के बाहर संवाददाताओं से बातचीत के क्रम में ये बातें कहीं।
हाईस्पीड ट्रेन का मतलब नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाईस्पीड रेल की बात बजट में आयी है। आप सौ किमी के दायरे में शोकेसिंग के लिए हाईस्पीड रेल की व्यवस्था कर उन देशों की सूची में जरूर शामिल हो जाएंगे, जहां हाईस्पीड रेल है, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है।
लक्ष्य से रह गये पीछे
रेल बजट में यह बात सामने आयी है कि सामान ढोने का जो लक्ष्य रेलवे का था, उससे वह पीछे हो गया है। यह इस बात को दर्शाता है कि देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। रेलवे की परियोजनाओं में कोई सुधार नहीं है। यात्री पक्ष को देखें तो ट्रेनें विलंब से चल रही हैं। सफाई की स्थिति चिंताजनक है। रेलवे स्टेशनों की स्थिति खराब हो गयी है। नयी परियोजना के लिए तो कोई सुदृढ़ योजना नहीं है।
'अंत्योदय एक्सप्रेस' कास्मेटिक एक्सरसाइज
मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी के लिए अंत्योदय ट्रेन एक तरह से कास्मेटिक एक्सरसाइज है। मैंने अपने रेल मंत्री के कार्यकाल में जनसाधारण एक्सप्रेस शुरू किया था। नाम बदलकर अंत्योदय किया गया है। रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो 92 प्रतिशत दिखाया जा रहा है, जो सही नहीं है।
सुरक्षा-व्यवस्था पर फोकस नहीं
नीतीश ने कहा, रेलवे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। रेलवे को निजीकरण की ओर नहीं धकेलना चाहिए। इसमें तो और धन लगाना चाहिए। देश के विकसित इलाकों को छोड़कर कोई और इलाका नहीं है इस रेल बजट में। रेलवे सुरक्षा पर ध्यान नहीं है। यह भी जिक्र नहीं है कि कौन सी परियोजना है, जिसे पूरा किया जाएगा। कोई आशा की किरण नहीं।