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स्कूली बच्चों को रोज सुनाई जाए महात्मा गांधी की एक कहानी: नीतीश कुमार

चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष के समापन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया। कहा कि प्रतिदिन बच्‍चों को गांधी जी की एक कहानी सुनाई जाये।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 21 Apr 2018 07:20 PM (IST)Updated: Sat, 21 Apr 2018 10:54 PM (IST)
स्कूली बच्चों को रोज सुनाई जाए महात्मा गांधी की एक कहानी: नीतीश कुमार
स्कूली बच्चों को रोज सुनाई जाए महात्मा गांधी की एक कहानी: नीतीश कुमार

पटना [राज्य ब्यूरो]। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अपनी आने वाली पीढिय़ों को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में जानकारी देना जरूरी है। ऐसे में अब स्कूलों में सुबह होने वाली प्रार्थना सभा के बाद महात्मा गांधी से जुड़ी कोई एक कहानी बच्चों को सुनाई जाए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को सचिवालय स्थित अधिवेशन भवन में प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित तीन पुस्तकों का लोकार्पण कर रहे थे। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और गांधीवादी विचारक डॉ. रजी अहमद समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपनी नई पीढ़ी को यह भी बताना होगा कि चंपारण सत्याग्रह के समय गांधी दिखते कैसे थे। क्योंकि गांधी के विचारों को हमने आजादी मिलने के तुरंत बाद ही भुला दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी ने जन भागीदारी के साथ विकास को विकेंद्रीकृत करने की बात कही थी। चंपारण सत्याग्रह में जन भागीदारी ने जन आंदोलन का रूप लिया और देश में आजादी की लड़ाई शुरू हो गई। मुख्यमंत्री ने शनिवार को जिन तीन पुस्तकों को विमोचन किया उनमें आशुतोष पार्थेश्वर लिखित पुस्तक 'चंपारण सत्याग्रह 1917Ó, अरविंद मोहन लिखित मिस्टर एमके गांधी की चंपारण डायरी' और श्रीकांत लिखित पीर मुहम्मद मूनिस, कलम के सत्याग्रही' शामिल हैं।

लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह के बारे में जितना पिछले सौ वर्षों में नहीं लिखा गया, उतना इस सत्याग्रह के सौ वर्ष पूरे होने पर पिछले एक वर्ष में लिखा गया है।

उन्होंने कहा कि पंडित राजकुमार शुक्ल महात्मा गांधी को नहीं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को चंपारण बुलाना चाहते थे। लेकिन तिलक के इन्कार करने पर एमके गांधी को चंपारण आमंत्रित किया था।

गांधीवादी विचारक डॉ. रजी अहमद ने कहा कि गांधी के चंपारण सत्याग्रह के बावजूद चंपारण की तस्वीर नहीं बदली। पहले वहां निलहों का आतंक था जो बाद में 'मिलहों' के आतंक में तब्दील हो गया। रजी अहमद का इशारा चंपारण की चीनी मिलों की तरफ था। उन्होंने कहा कि किसानों की जमीन वहां चीनी मिलों को दे दी गई।


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