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बिहार की राजनीति में क्‍या होने वाला है? नीतीश कुमार का प्‍लान, इन संकेतों के जरिए समझिए

Bihar Politics बिहार की राजनीति को समझना इतना आसान नहीं है। इससे भी अधिक मुश्‍कि‍ल है राज्‍य के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के अगले प्‍लान को समझना। इस बीच राज्‍य की राजनीतिक फ‍िजाओं में तमाम तरह की चर्चाएं हैं।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 24 May 2022 08:55 AM (IST)Updated: Tue, 24 May 2022 04:57 PM (IST)
बिहार की राजनीति में क्‍या होने वाला है? नीतीश कुमार का प्‍लान, इन संकेतों के जरिए समझिए
बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार। फाइल फोटो

पटना, आनलाइन डेस्‍क। Bihar Politics: करीब एक महीने होने जा रहे हैं। पटना में राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर 28 अप्रैल को इफ्तार पार्टी हुई थी। तेजस्‍वी यादव, तेज प्रताप यादव, मीसा भारती और राजश्री यादव की मेजबानी वाले इस आयोजन में जिस गर्मजोशी के साथ नीतीश कुमार शरीक हुए, उससे बिहार की राजनीतिक फिजां गर्म हो गई। तब से अब तक कई ऐसे वाकये हुए, जिनको बिहार की राजनीति में होने वाली किसी बड़ी हलचल का संकेत बताने की होड़ लगी रही। इस बीच नीतीश कुमार ने गत सोमवार को मगध महिला कालेज के एक कार्यक्रम में कहा कि वे जब जब तक हैं, सबके विकास व कल्याण के लिए काम करते रहेंगे। उनके 'जब तक ...' का भी लोग अपने मन मुताबिक अर्थ निकालने लगे।

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नीतीश कुमार की रणनीति क्‍या ?

बिहार में तमाम ऐसी खबरें, चर्चाएं और अफवाहें पिछले दिनों उड़ती रही हैं, जिनसे आम आदमी के मन में यह सवाल उठा है कि क्‍या नीतीश कुमार अपनी रणनीति बदलने वाले हैं? इसे समझने के लिए हाल के घटनाक्रमों के साथ ही नीतीश कुमार के संपूर्ण राजनीतिक जीवन पर निगाह डालने की जरूरत होनी चाहिए। पिछले दिनों नीतीश कुमार के करीबी, जदयू के संस्‍थापकों में शुमार रहे वरिष्‍ठ नेता वशिष्‍ठ नारायण सिंह ने भाजपा के संदर्भ में एक दिलचस्‍प बयान दिया था। 

भाजपा के साथ रिश्‍तों पर गर्व 

वशिष्‍ठ नारायण सिंह हाल तक बिहार जदयू के अध्‍यक्ष रहे। नीतीश कुमार उन पर विश्‍वास करते रहे हैं। ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता भी अक्‍सर वश‍िष्‍ठ नारायण की चौखट पर पहुंचकर मार्गदर्शन लेते रहे हैं। राजनीतिक बिरादरी में 'दादा' के तौर पर मशहूर वशिष्‍ठ नारायण सिंह ने पिछले दिनों कहा कि जदयू और भाजपा के संबंधों पर तो गर्व होना चाहिए। दो दलों के बीच इतने लंबे समय तक समझदारी के साथ गठबंधन चलाना मामूली बात नहीं है। यह बात उन्‍होंने जदयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ललन सिंह से मुलाकात के ठीक बाद कही। ललन सिंह खुद उनसे मिलने के लिए पहुंचे थे। 

मुख्‍यमंत्री की तेजस्‍वी यादव से मुलाकात अनोखी नहीं

वशिष्‍ठ नारायण सिंह ने कहा कि मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव की मुलाकात कोई अनोखी बात नहीं है। मुख्‍यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के बीच संवाद तो बना ही रहता है और ऐसा होना भी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार बहुत मजबूती से काम कर रही है। एनडीए में बिल्‍कुल आल इज वेल है। बिहार में एनडीए के सर्वमान्‍य नेता नीतीश कुमार हैं। उन्‍होंने कहा कि जनता दल यू और भारतीय जनता पार्टी को अपने लंबे संबंधों पर गर्व है। इतने लंबे समय तक एक साथ गठबंधन में सरकार चलाना मौजूदा राजनीत‍िक हालात में एक रिकार्ड है।

जाति आधारित जनगणना पर विरोध की बात कितनी सही

बिहार में कुछ नेताओं की ओर से ऐसे बयान दिए गए हैं कि भाजपा और जदयू के बीच जातिगत जनगणना के मसले पर विरोध है, जबकि राजद और जदयू इस मसले पर साथ हैं। हालांकि, ऐसे दावों का कोई पुख्‍ता आधार नहीं है। भाजपा के कुछ नेताओं ने जाति जनगणना को गैरजरूरी भले बताया है, लेक‍िन पार्टी का ऐसा आधिकारिक स्‍टैंड तो अब तक देखने को नहीं मिला है। पिछली बार इस मसले पर पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने वाले सर्वदलीय प्रत‍िनिधिमंडल में भाजपा भी शामिल थी। गत वर्षों में इस मसले पर विधानमंडल में प्रस्‍ताव पारित हुए तो भाजपा की भी सहमति थी। पिछले दिनों भाजपा की नेता और उपमुख्‍यमंत्री रेणुु देवी ने कहा कि सरकार जल्‍द ही जाति जनगणना कराएगी। भाजपा के कई बड़े नेता इस मसले पर कह चुके हैं कि बैठक में फैसला लिया जाएगा।   

सबसे महत्‍वपूर्ण बात तो यह 

इन सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार स्‍वतंत्र फैसले के लिए जाने जाते हैं। उनके मन में क्‍या चल रहा है, इसके बारे में बेहद नजदीक के लोगों को भी आखिरी वक्‍त तक पता नहीं चलता है। उनका राजनीतिक रिकार्ड ऐसा ही रहा है। यही वजह है कि पिछले 16 वर्षों से अधिक समय से बिहार की राजनीति उनके इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। बिहार में भाजपा फिलहाल उनका साथ छोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकती है, राजद के लोग जरूर ऐसी उम्‍मीद लगाए रहते हैं। 


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