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Bihar: रमजान पर मुस्लिम कर्मचारियों को नीतीश सरकार ने दी राहत, एक घंटे पहले ऑफिस आकर जल्दी जा सकेंगे घर

Ramadan बिहार सरकार ने रमजान के मौके पर मुस्लिम कर्मचारियों और अधिकारियों को राहत दी है। सरकार ने शुक्रवार को मुस्लिम कर्चारियों के लिए आदेश जारी किया। जिसमें मुस्लिम कर्मचारी जल्दी ऑफिस आकर एक घंटे पहले घर जा सकेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Roma RaginiPublished: Sat, 18 Mar 2023 09:04 AM (IST)Updated: Sat, 18 Mar 2023 09:04 AM (IST)
Bihar: रमजान पर मुस्लिम कर्मचारियों को नीतीश सरकार ने दी राहत, एक घंटे पहले ऑफिस आकर जल्दी जा सकेंगे घर
रमजान पर बिहार के मुस्लिम कर्मचारी जल्दी जा सकेंगे घर

जागरण संवाददाता, पटना। नीतीश सरकार ने रमजान में मुस्लिम कर्मचारियों को राहत दी है। अब, रमजान के महीने में मुस्लिम सरकारी कर्मचारी निर्धारित समय से एक घंटे पहले ऑफिस आएंगे और घंटा भर पहले घर जा सकेंगे। इससे, उन्हें रोजा खोलने में सहूलियत होगी।

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बिहार सरकार ने रमजान के मौके पर मुस्लिम कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए यह आदेश जारी कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में अपने एक तीन साल पुराने आदेश को शुक्रवार को सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्रमंडलीय आयुक्त व जिला पदाधिकारी को फिर से जारी किया।

आदेश में कहा गया है कि सरकार मुस्लिम कर्मचारियों और पदाधिकारियों की सुविधा के मद्देनजर रमजान की अवधि के लिए निर्धारित समय से एक घंटा पहले कार्यालय आने और निर्धारित समय से एक घंटा पहले कार्यालय छोड़ने की अनुमति देती है। आदेश में यह भी कहा गया कि सरकार का यह आदेश स्थायी रूप से हर साल के लिए प्रभावी रहेगा।

इधर, रमजान के महीने में नीतीश कुमार का यह फैसला मुस्लिम कर्मचारियों को राहत देने वाला बताया जा रहा है। इसी बीच राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बिहार सरकार का यह फैसला मुस्लिम वोटर्स को लुभावने के लिए है।

बता दें कि रमजान मुस्लिमों का एक महत्वपूर्ण पर्व है। रमजान में मुस्लिम एक महीने तक रोजा रखते हैं और इबादत करते हैं। इस्लाम के अनुसार, रमजान का महीना पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में इस्लाम मानने वाे सुबह से शाम तक रोजा रखते हैं। चांद दिखने पर ईद पर उनका रोजा समाप्त हो जाता है। इस साल रमजान 22 मार्च या 23 मार्च से शुरू हो जाएगा।

रोजा रखने वाले को कड़ा नियम का पालन करना पड़ता है। सहरी और इफ्तार के बीच में रोजादार कुछ खा नहीं सकते हैं। बुरी आदतों को छोड़ना पड़ता है। कहते हैं कि रोजा करने वालों को बुरे विचार मन में नहीं लाना चाहिए। इस मौके पर जकात का बहुत महत्व है। मतलब मुस्लिम समाज अपने बचत में कुछ हिस्सा जरुरतमंदों की मदद में लगाते हैं।


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