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तेजस्वी को नीतीश की नसीहत, कहा- पिताजी को जो बोलना चाहिए, वह बात आप मत बोलिए...

सीएम नीतीश ने विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को समझाया कि उन्हें क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं। वे ऐसी बात कतई न बोलें जिसे बोलने का अधिकार उन्हें नहीं बल्कि उनके पिता को है।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 05:59 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 06:24 PM (IST)
तेजस्वी को नीतीश की नसीहत, कहा- पिताजी को जो बोलना चाहिए, वह बात आप मत बोलिए...
तेजस्वी को नीतीश की नसीहत, कहा- पिताजी को जो बोलना चाहिए, वह बात आप मत बोलिए...

पटना, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को समझाया कि उन्हें क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं। वे ऐसी बात कतई न बोलें जिसे बोलने का अधिकार उन्हें नहीं, बल्कि उनके पिता को है। मुख्यमंत्री मंगलवार को विधानसभा में एनपीआर पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे। इससे पहले विपक्ष के नेता ने मुख्यमंत्री पर अविश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें उनकी बातों पर भरोसा नहीं है। इस क्रम में उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद के बीच हुए गठबंधन का जिक्र किया।

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जवाब के दौरान मुख्यमंत्री ने तेजस्वी से कहा- आपको हमें कुछ बात नहीं बोलनी चाहिए। ये सब बोलने का अधिकार आपके पिताजी को है। तेजस्वी कुछ कहने के लिए उठे। मुख्यमंत्री ने प्यार से उन्हें बिठा दिया- बैठिए। बैठो। तेजस्वी ने भी उनका सम्मान किया। आगे बिना कुछ बोले वे बैठ गए। मुख्यमंत्री ने कांग्रेस विधायक अवधेश कुमार सिंह को शांत होकर बैठने की सलाह दी। सिंह एनपीआर पर बोल रहे थे। मुख्यमंत्री बोले- बैठिए। आपको पता है कि आप उसी दल से चुनाव लडि़एगा। गंभीर विषय पर बहस के बावजूद विधानसभा का माहौल तनावपूर्ण नहीं, खुशगवार था।

राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने मुख्यमंत्री को समाजवादी विचारधारा पर कायम रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा- पता नहीं, इनका समाजवाद मर गया। खत्म हो गया। प्रश्नोत्तर काल में कार्यस्थगन प्रस्ताव मंजूर हुआ। उस समय मुख्यमंत्री सदन में नहीं थे। वह जवाब से कुछ पहले सदन में आए। उन्होंने बताया कि अपने कक्ष में बैठकर वह सदस्यों की राय सुन रहे थे। अब जवाब देने के लिए आए हैं।

पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव बोल रहे थे। उन्होंने आसन पर बैठे विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी को कहा- आपने तो विपक्ष के नेता की हवा निकाल दी। चौधरी ने तुरंत प्रतिकार किया- मैंने हवा कहां निकाली। उनकी बात मान ली। सचमुच, बिना शोर-शराबा के विपक्ष का कार्य स्थगन प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया था।


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