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भाजपा को झटका दे नीतीश मिला सकते हैं लालू से हाथ, उपेंद्र की बातों को आधार बना सहनी का बड़ा बयान

साल 2015 में साथ रहे लालू और नीतीश एक बार फिर हाथ मिला सकते हैं। यह बड़ा बयान बिहार के पूर्व पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी ने दिया है। उन्होंने कहा है कि भाजपा और जेडीयू में कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 04:15 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 04:15 PM (IST)
भाजपा को झटका दे नीतीश मिला सकते हैं लालू से हाथ, उपेंद्र की बातों को आधार बना सहनी का बड़ा बयान
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बिहार सीएम नीतीश कुमार। जागरण आर्काइव।

जागरण टीम, पटना। बिहार के पूर्व पशुपालन मंत्री व विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के संस्थापक मुकेश सहनी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में चल रही तनातनी के बीच बड़ा बयान दिया है। रविवार को मीडिया से बात करते हुए सहनी ने कहा कि बीजेपी और जेडीयू के बीच कुछ ठीक नहीं है। एनडीए में रहते हुए दोनों कई मुद्दों पर एक दूसरे के खिलाफ हैं। उपेंद्र कुशवाहा कह ही चुके हैं कि जदयू और राजद की विचारधारा सैद्धांतिक रूप से एक है। ऐसे में बड़ी बात नहीं अगर नीतीश कुमार अपने पुराने सहयोगी लालू प्रसाद यादव से हाथ मिला लें। उन्होंने कहा कि आरजेडी और जदयू 2015 की तरह ही एक बार फिर साथ आ सकते हैं। 

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मुकेश सहनी ने उपेंद्र कुशवाहा के शनिवार को दिए गए बयान को आधार बनाया और कहा कि जदयू ने तो कह ही दिया है कि उसकी और लालू यादव के राजद की विचारधारा सैद्धांतिक रूप से एक है, केवल व्यवहार में ही अंतर है। मुकेश सहनी ने उपेंद्र कुशवाहा के बयान का समर्थन किया और कहा कि एनडीए मतलब नीतीश हैं। भाजपा के पास नीतीश के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सहनी ने कहा कि बिहार में राजद सबसे बड़ा दल है। महागठबंधन में अकेले आरजेडी के पास विधायकों की बड़ी संख्या है। भाजपा और जदयू के बीच चल रही तनातनी कई संकेत दे रही है। अगर नीतीश कुमार थोड़ा दिमाग लगा लें तो राजद के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं। उन्हें किसी अन्य की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

छोटे दलों को तोड़ना अच्छी बात नहीं

मुकेश सहनी ने कहा कि भाजपा छोटे दलों को तोड़ती रही है, उसके साथ भी आगे ऐसा ही होगा। असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के चार विधायकों को अपने पाले में शामिल करने पर सहनी राजद से भी नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि छोटे दलों को तोड़ना अच्छी बात नहीं है। लोकतंत्र में छोटी पार्टियों की बड़ी भूमिका है। 


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