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Nirbhaya Case Hanging: दोषी अक्षय का शव ले बिहार रवाना हुई पत्‍नी, अंतिम मुलाकात नहीं होने का मलाल

Nirbhaya Case Hanging निर्भया के दोषी अक्षय ठाकुर का परिवार फांयी के बाद उसका शव लेकर बिहार रवाना हो चुका है। उसका अंतिम संस्‍कार शनिवार को पैतक गांव में होगा।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 08:32 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 11:39 PM (IST)
Nirbhaya Case Hanging: दोषी अक्षय का शव ले बिहार रवाना हुई पत्‍नी, अंतिम मुलाकात नहीं होने का मलाल
Nirbhaya Case Hanging: दोषी अक्षय का शव ले बिहार रवाना हुई पत्‍नी, अंतिम मुलाकात नहीं होने का मलाल

औरंगाबाद, मुकेश कुमार। बिहार के औरंगाबाद जिले के किसी निवासी को फांसी दिए जाने का यह पहला मामला है। वह भी निर्भया सामूहिक दुष्‍कर्म व हत्‍याकांड जैसे जघन्‍य अपराध के लिए।  शुक्रवार की सुबह दिल्‍ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाए जाने के बाद औरंगाबाद के करमा लहंग गांव स्थित उसके गांव में मातमी सन्नाटा पसरा है। वहां चूल्‍हे भी खामोश हैं।

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अब शव का इंतजार किया जा रहा है। अक्षय का अंतिम संस्‍कार गांव में ही किया जाएगा। इसके लिए पत्‍नी पुनीता अन्‍य स्‍वजनों के साथ शव को एंबुलेंस से लेकर बिहार के लिए निकल चुकी है। उनके शनिवार की सुबह तक औरंगाबाद के पैतृक गांव पहुंचने की उम्‍मीद है।

विदित हो कि बीते 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्‍ली में एक फिजियोथिरेपिस्‍ट युवती निर्भया (काल्‍पनिक नाम) के साथ चलती बस में सामूहिक दुष्‍कर्म किया गया था। घटना के दौरान उसके साथ जबरदस्‍त दरिंदगी भी की गई थी। इसे निर्भया नहीं झेल पायी। इलाज के दौरान सिंगापुर में उसकी मौत हो गई। घटना के बाद जबरदस्‍त जनाक्रोश फूट पड़ा। पुलिस ने कांड के छह आरोपितों को गिरफ्तार किया, जिनमें एक नाबलिग कुछ सालों की सजा काटकर छूट गया तो एक आरोपित ने तिहाड़ जेल में आत्‍महत्‍या कर ली। दोषी पाए गए शेष चार को 20 मार्च की सुबह मौत की सजा दे दी गई। इनमें बिहार कके औरंगाबाद का मूल निवासी अक्षय ठाकुर भी शामिल था।

पोस्‍टमॉर्टम के बाद शव लेकर बिहार रवाना हुए स्‍वजन

फांसी के बाद अक्षय ठाकुर के शव का पोस्टमार्टम कराकर दोपहर बाद शाम स्वजनों को सौंप दिया गया। अक्षय की पत्‍नी पुनीता देवी व अन्‍य स्वजन शव लेकर पैतृक गांव के लिए निकल चुके हैं। अक्षय के पिता सरयू सिंह के रिश्‍तेदार प्रभु सिंह ने बताया कि शव एंबुलेंस से लाया जा रहा है। ग्रामीण अक्षय के शव का इंतजार कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार अंतिम संस्कार गांव में ही किया जाएगा।

पत्‍नी को मलाल: नहीं हो सकी अंतिम मुलाकात, बात

इसके पहले गांव से अंतिम मुलाकात करने दिल्‍ली गई पत्‍नी पुनीता की अक्षय से न तो मुलाकत हो सकी न कोई बात हुई। इसका उसे मलाल उसे है। वह रह-रहकर कह रही है कि एक बार तो मिला दिया जाता। पुनीता गुरुवार रात जिस वक्‍त अक्षय से अंतिम मुलाकात करने तिहाड़ जेल पहुंची, मिलने का समय समाप्‍त हो चुका था। इस कारण जेल प्रशासन ने उसे अंतिम मुलाकात की अनुमति नहीं दी।

कोर्ट परिसर में चिल्‍लाने लगी पुनीता, खुद को पीटा

पुनीता के अंतिम मुलाकात के लिए जाने में विलंब का करण अक्षय की फांसी रोकने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट में दायर याचिका थी। उसकी सुनवाई के दौरान वह रोने लगी। कोर्ट परिसर में ही वह चिल्‍लाने लगी कि उसका पति निर्दोष है, जिसके पीछे समाज पड़ा है। फिर वह खुद को ही चप्‍पल से पीटने लगी और बेहोश हो गई। वहां से जब तक वह तिहाड़ जेल गई, मुलाकात का समय समाप्‍ज हो चुका था। इसके इसे लेकर अक्षय के गांव के लोगों की सुहानुभूति पुनीता के साथ है।

फांसी के बाद अक्षय के पैतृक गांव में पसरा मातम

करमा लहंग गांव में अक्षय के परिवार को लोग आदर की दृष्टि से देखते रहे हैं। शुक्रवार की सुबह उसे फांसी दिए जाने के बाद वहां मातम है। घरों में चूल्हे भी खामोश हैं। दिन में गांव की गलियों में चहलकदमी न के बराबर दिखी।

मिली-जुली प्रतिक्रियाओं के बीच परिवार के प्रति संवेदना

करमा लहंग गांव के लोगों ने अक्षय का जो रूप देखा है, उसके अनुसार उनकी सोच है। अधिकांश यह मानने को तैयार नहीं कि उसने ऐसा घृणित कृत्‍य किया होगा। ग्रमीणों के एक वर्ग को अक्षय के कृत्‍य को लेकर आश्‍चर्य भी था। हां, मिली-जुली प्रतिक्रियाओं के बीच यह एक बात समान्‍य रही कि लोगों को अक्षय के स्‍वजनों के प्रति संवेदना है। खासकर उसकी पत्‍नी व नाबालिग बेटे के प्रति संवेदना उमड़ रही है।

करमा लहंग के रामजन्म ठाकुर कहते हैं कि अक्षय बहुत ही नेक इंसान था। पता नहीं भगवान ने उसे किस पाप की सजा दी। पास खड़ीं महिलाओं ने कहा कि बेचारी पुनीता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अब नौ साल के बेटे के सिर से पिता का साया उठ गया है।

शहरी इलाके में फांसी के समर्थन में दिखे लोग

औरंगाबाद जिला की बात करें तो दिनभर अक्षय की फांसी की ही चर्चा होती रही। कोई कह रहा था कि कांड के कुछ समय बाद ही फांसी की सजा दे देनी चाहिए थी। मामले को इतने दिन लटकाकर दोषियों को फांसी व स्‍वजनों को यातना देना उचित नहीं था। कुछ लोग जघन्य जेसिका हत्याकांड, विधायक दिलीप सेंगर मामला, मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड और सुरेंद्र कोहली के जघन्‍य अपराध की घटनाओं के उदाहरण देकर पूछ रहे थे कि क्‍या अ.या का मामला उक्‍त घटनाओं से बड़ा था? हालांकि, औरंगाबाद शहर में महिलाओं व युवाओं ने फांसी को न्यायसंगत बताया। औरंगाबाद ओवरब्रिज के समीप से ऑटो से जा रहीं आकांक्षा व सानिया ने कहा कि ऐसे अपराध के लिए भला फांसी से कम सजा क्‍या हो सकती थी?

अभी शव का इंतजार, फिर फूटेगा भावनाओं का ज्‍वार

बहरहाल, अक्षय ठाकुर को लेकर औरंगाबाद में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। मिली-जुली भावनाओं का यह ज्‍वार शनिवार को अक्षय का शव आते ही फिर फूटेगा। गांव में शव का इंतजार किया जा रहा है।


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