Nirbhaya Case Hanging: अंतत: फेल हो गया अक्षय ठाकुर का तलाक वाला दांव, हो ही गई फांसी
Nirbhaya Case Hanging निर्भया मामले के दोषियों ने अंतिम समय तक फांसी रोकने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए। लेकिन उनकी एक नहीं चली। दोषी अक्षय का तलाक वाला दांव भी फुस्स हो गया।
पटना, जेएनएन। दिल्ली के चर्चित निर्भया सामूहिक दुष्कर्म व हत्याकांड के चारों दोषियों को शुक्रवार की सुबह तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। इसके पहले दोषियों की फांसी रुकवाने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं। जब बचने के सारे रास्ते बंद हो गए तो एक दोषी अक्षय ठाकुर ने तलाक का दांव चला। हालांकि, कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया। अक्षय बिहार के औरंगाबाद जिले का निवासी था। फांसी से बचने के अंतिम दांव के रूप में उसकी पत्नी पुनीता देवी ने औरंबागाद फैमिली कोर्ट में तलाक का मुकदमा दायर किया, जिसे आधार बना अक्षय ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट तथा दिल्ली हाईकोर्ट में फांसी रोकने की याचिका दाखिल की।
याचिकाएं हुईं खारिज, हो ही गई फांसी
अक्षय की उस याचिका को पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी के एक दिन पहले 19 मार्च को खारिज कर दिया। इसके साथ ही फांसी का रास्ता साफ हो गया। इसके बाद दोषी अक्षय देर रात दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा। वहां भी उसे कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने अक्षय के खिलाफ तलाक के मुकदमे के लंबित होने के आधार पर फांसी रोकने से इनकार कर दिया। साथ ही अन्य दोषियों की याचिकाएं भी खारिज कर दी। इसके बाद दोषी फांसी पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट गए, जिसने शुक्रवार सुबह करीब 3.30 बजे तक सुनवाई के बाद याचिकाएं खारिज कर दीं।
फांसी रोकने के तमाम हथकंडे फेल होने के बाद अंतत: दोषी मुकेश (32), पवन (25), विनय (26) एवं अक्षय (31) को 20 मार्च की सुबह दिल्ली की तिहाड़ जेल में मौत की सजा दे दी गई।
फांसी रोकने के लिए चली तलाक की चाल
फांसी की सजा पाए अक्षय ठाकुर की पत्नी पुनीता ने औरंगाबाद फैमिली कोर्ट में दायर तलाक की याचिका में कहा है कि कि वह दुष्कर्मी की विधवा के रूप में जीवन जीना नहीं चाहती। फैमिली कोर्ट ने इस मुकदमे की सुनवाई 19 मार्च को ठीक उसी दिन की, जिस दिन अक्षय की फांसी रोकने की याचिकाओं पर सुनवाई दिल्ली में चल रही थी। अक्षय की पत्नी के उस सिलसिले में व पति को अगले दिन होने वाली फांसी के पहले अंतिम मुलाकात के लिए दिल्ली में थी। इस कारण वह तलाक के मुकदमे की सुनवाई में उपस्थित नहीं हो सकी। इस कारण मुकदमे की अगली सुनवाई के लिए 24 मार्च की तिथि निर्धारित कर दी गई। अक्षय ने इस मुकदमे को फांसी पर रोक की याचिका का आधार बनाया।
अक्षय की पत्नी के बयानों में दिखा विरोधाभाष
अक्षय की पत्नी के बयानों का विरोधाभाष इशारा करता है कि तलाक का मुकदमा फांसी टालने का हथकंडा ही था। एक तरफ पुनीता यह कहती है कि वह दुष्कर्मी की विधवा का जीवन नहीं चाहती तो दूसरी तरफ पति को निर्दोष भी बताती है। फिर तलाक के इस मुकदमे को आधार बना फांसी रोकने की कोशिश करती है। हालांकि, पुनीता के अधिवक्ता मुकेश कुमार तलाक के मुकदमे को फांसी रोकने का हथकंडा मानने से इनकार करते हैं। वे कहते हैं कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कुछ खास मामलों में कोई महिला तलाक ले सकती है। दुष्कर्म का मामला भी उसमें शामिल है।