Nirbhaya Case Hanging: दोषियों को फांसी होते ही खत्म हुआ बिहार का इंतजार, अक्षय के गांव में मातम
Nirbhaya Case Hanging निर्भया मामले के दोषी अक्षय ठाकुर को शुक्रवार की सुबह अन्य तीन साथियों के साथ फांसी दे दी गई। इस फांसी पर बिहार के आम लोगों ने क्या कहा जानिए यहां।
पटना/ औरंगाबाद, जागरण टीम। Nirbhaya Case Hanging: दिल्ली के तिहाड़ जेल (Tihar Jail) मेंं निर्भया सामूहिक दुष्कर्म व हत्याकांड के सभी चारों दोषियों को सुबह 5.30 बजेे फांसी दे दी गई। इनमेें बिहार के औरंगाबाद जिले का रहनेे वाला अक्षय ठाकुर (Akshay Thakur) भी शामिल था। फांसी के पहले इसे रोकने की प्रक्रिया लगातार जारी रही। अंतत: सुबह 3.30 बजे जब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दोषियोंं की याचिका खारिज की, तब जा कर फांसी (Hanging) का रास्ता साफ हो सका।
पूरे देश की तरह बिहार में भी थी फांसी की प्रतीक्षा
अक्षय की साथियों केे साथ फांंसी की पूरे देश की तरह बिहार मेंं भी प्रतीक्षा थी। इसकी जानकारी के लिए लोग सुबह से ही टीवी चैनलों व न्यूज पोर्टल्स से जुड़े रहे। सबों ने एक स्वर में कहा कि अंतत: इंसाफ हुआ। हालांकि, इस संबंंध में उसके औरंगाबाद केे पैतृक गांव सेे मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। अक्षय ठाकुर को फांंसी केे बाद बिहार के उसके पैतृक गांंव करमा लहंग (Karma Lahang) में मातम है। वहांं कल से ही माहौल गमगीन है। अक्षय केे गांंव मेंं उसके घर पर सुबह से भीड़ उमड़़ रही है।
पटना में लोगों ने कहा- सजा ने दिया बड़ा संदेश
पटना की बात करें तो लोग सुगह से ही जगह-जगह सड़कों पर निकल आए हैं। पटना विश्वविद्यालय के छात्र अभिनव राज कहते हैं कि इस सजा ने बड़ा संदेश दिया है कि अगर आज ऐसे जुर्म करते हैं तो बचेंगे नहीं। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की छात्रा रंजना कहती हैं कि निर्भया को इंसाफ मिला, इससे वे खुश हैं। हालांकि, इसमें विलंब हुआ। पटना के कुर्जी मोड़ पर सुबह में निर्भया मामले की ही चर्चा होती दिखी। वहां जुटे लोगों ने भी एक स्वर से कहा कि इंसाफ हुआ है।
कहा- यह सजा तो पहले ही मिल जानी थी
ऐसी ही प्रतिक्रियाएं पूरे राज्य से मिल रही हैं। माेतिहारी में जीवन बीमा निगम अधिकारी कौशल किशोर कहते हैं कि फांसी से देश में अच्छा संदेश गया है। गोपालगंज के डॉ. सदीप कुमार ने कहा कि यह सजा तो पहले ही मिल जानी थी।
दोषी अक्षय के जिले में भी फांसाी से संतोष
निर्भया कांड के दोषियों को फांसी दिए जाने को लेकर दोषी अक्षय ठाकुर के जिले में भी संतोष है। हालांकि, उसके गांव के लोग नाराज हैं। औरगाबाद के जनवादी लेखक संघ के जिला सचिव व साहित्यकार प्रो. अलखदेव प्रसाद'अचल' ने कहा कि अपराधियों ने निर्भया के साथ घृणित कुकृत्य कर मरने को विवश किया था, ऐसे में उन्हें और पहले फांसी दे देनी चाहिए थी।
पूर्व प्रमुख आरिफ रिजवी, साहित्यकार शंभू शरण सत्यार्थी, शिक्षक समुद्र सिंह ने कहा कि इससे दुष्कर्मियों को सबक लेनी चाहिए। मुखिया संतोष शर्मा, सत्येंद्र पासवान, सुरेश प्रजापति, पैक्स अध्यक्ष संजीत शर्मा, आशुतोष कुमार रॉय उर्फ साधु यादव, व्यापार मंडल के प्रखंड अध्यक्ष जय कृष्ण पटेल ने कहा कि इस तरह के कुकृत्य करने वालों को कभी माफ नहीं किया जाना चाहिए। राजेश कुमार विचारक,सेराजुद्दीन खान, अरविंद कुमार वर्मा, कामाख्या नारायण सिंह समेत कई और लोगों ने भी खुशी जाहिर की।
शुक्रवार सुबह 5.30 बजे दे दी गई फांसी
तिहाड़ जेल में फांसी की तैयारी सुबह 04.00 बजे शुरू हुई। इसके पहले दोषियों की याचिका पर सुबह 3.30 बजे तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चली। सुप्रीम कोर्ट ने एक घंटे की सुनवाई के बाद 3.30 बजे याचिका खारिज कर दी।सुबह 5.25 बजे तक निर्भया के दोषियों को फांसी के तख्ते तक ले जाया जा चुका था।